महबूबा मुफ्ती को नजरबंद रहते उसकी बेटी ने किया बड़ा खुलासा- हम मां को इस तरह भेजती थी चिठ्ठी

जम्मू कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लागू किया गया है. पिछले 6 महीनों से दोनों नेताओं को नजरबंद किया गया है

Update: 2020-02-07 10:03 GMT

जम्मू कश्मीर। जम्मू कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लागू किया गया है. पिछले 6 महीनों से दोनों नेताओं को नजरबंद किया गया है. अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही दोनों पूर्व मुख्यमंत्री हिरासत में हैं।

वहीं पीएसए लागू होने के साथ ही दोनों नेताओं को बिना ट्रायल के भी जेल हो सकती है। जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत दो प्रावधान हैं-लोक व्यवस्था और राज्य की सुरक्षा को खतरा। पहले प्रावधान के तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे के छह महीने तक और दूसरे प्रावधान के तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है।

वही महबूबा मुफ्ती को जेल जाने के बाद से वहा की राजनीति गर्मा गई थी इस दौरान महबूबा की बेटी इल्तिजा मुफ्ती उनका ट्विटर अकाउंट हैडल रही थी अब गुरुवार को उन्होंने ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर करते हुए बताया है कि आखिर कैसे हिरासत के दौरान अपनी मां को मैसेज भेजती थीं।

पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर विशेष दर्जा वापस ले लिया गया था. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा को हिरासत में ले लिया गया और 20 सितंबर से महबूबा की बेटी इल्तिजा उनका ट्विटर अकाउंट चला रही हैं।

इल्तिजा ने मां द्वारा हिरासत में बिताए गए छह महीनों के बारे में लिखा है, 'मैं वो हफ्ता कभी नहीं भूल सकती, जब उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया... 'मैं अगले कुछ दिन बेहद परेशान रही, इसके बाद मुझे वो चिट्ठी टिफिन बॉक्स के भीतर मिली, जिसमें उनके लिए घर से भोजन भेजा जाता था. चिट्ठी को रोटी में लपेट कर उनके पास भेजा जाता था.'

इल्तिज़ा मुफ्ती ने लिखा, "मैं वह हफ्ता कभी नहीं भूल सकती, जब उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया... मैंने अगले कुछ दिन बेहद चिंता में बिताए, जब तक मुझे एक मुड़े-तुड़े काग़ज़ पर लिखी कुछ हर्फ की चिट्ठी मिली... इस तरह की कई चिट्ठियां बाद में मिलती रहीं... मुझे वह चिट्ठी टिफिन बॉक्स के भीतर मिली, जिसमें उनके लिए घर से भोजन भेजा जाता था..."

महबूबा मुफ्ती की पुत्री के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री ने उस चिट्ठी में लिखा था, "वे यह समझ गए हैं कि अब मैं कुछ भी बोलने के लिए सोशल मीडिया का इश्तेमाल नहीं करूंगी... अगर कोई अन्य शख्स ऐसा करता है, तो उस पर बहुरूप धरने के आरोप में मामला दर्ज किया जा सकता है... तुमसे बहुत प्यार है, तुम्हारी याद आती है..."

इल्तिज़ा मुफ्ती के अनुसार, "इसके बाद, जवाब कैसे भेजा जाए, पर असमंजस शुरू हो गया... मेरी दादी ने एक अनूठा रास्ता सुझाया... मैंने जो खत लिखा, उसे बहुत छोटे-से आकार में मोड़कर और अच्छी तरह चिपकाकर एक चपाती के भीतर छिपा दिया गया..." महबूबा मुफ्ती को शुरू में चश्माशाही गेस्ट हाउस में रखा गया था, लेकिन दिसंबर में बेटी द्वारा बेहद सर्दी की शिकायत किए जाने के बाद उन्हें श्रीनगर में एम.ए. रोड पर स्थित एक सरकारी बंगले में शिफ्ट कर दिया गया था.

इल्तिजा ने अपनी मां के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, 'ठीक छह महीने पहले, मैं बेबसी के साथ देखती रही जब अधिकारी मेरी मां को ले गए. दिन हफ्तों में बदले और हफ्ते महीनों में. कश्मीर में अब तक राजनीतिक नेता अवैध हिरासत में हैं. यह एक बुरे सपने जैसा है. सरकार अपने ही लोगों की आवाज दबा रही है.'उन्होंने कहा कि भारत के विचार पर हमला हो रहा है और इस दौरान चुप रहना आपराधिक सहभागिता है. उन्होंने कहा कि इस संकट के आर्थिक और मानसिक असर ने जम्मू-कश्मीर को कमजोर कर दिया है. अभी भी कुछ नहीं बदला. सच तो यह है कि भारत के विचार पर हमला हो रहा है और इस पर चुप रहना भी आपराधिक सहभागिता है।

इससे पहले 23 जनवरी को इल्तिजा मुफ्ती ने कहा था, केंद्रीय मंत्रियों का दौरा सिर्फ भाजपा की वोट बैंक राजनीति है, जिसका मकसद 'खोई हुई जमीन वापस पाना है.' उन्होंने कहा कि वास्तविक संपर्क इंटरनेट सेवाओं की बहाली, राजनीतिक कैदियों को रिहा करने, नागरिक समाज के सदस्यों से बात करने और उनकी चिंताओं को दूर करने, डोमिसाइल के बारे में बात करने और बाहरी लोगों द्वारा भूमि को लिए जाने को लेकर उनकी आशंकाओं को दूर करके किया जा सकता है।

बता दें कि बीजेपी ने 18 जनवरी से 24 जनवरी के बीच अपने दो दर्जन मंत्रियों को जम्‍मू-कश्‍मीर के अलग-अलग इलाकों में भेजा था. एक इंटरव्यू में इल्तिजा मुफ्ती ने बताया था कि जम्मू के लोग बीजेपी से नाराज हैं. मुफ्ती ने कहा, कोई वास्तविक जुड़ाव या संपर्क नहीं है. उन्होंने कहा, वे आशंकित हैं कि वे जम्मू में सीटें खो देंगे. उन्होंने कहा कि कश्मीर में इतनी ज्यादा सुरक्षा की मौजूदगी को कोई मतलब नहीं है, जब सरकार कह रही है कि घुसपैठ में कमी है.

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