एक खदान मजदूर जो रातोरात CM बना और अब चुनाव मैदान से बाहर

Update: 2019-11-20 10:20 GMT

झारखंड की सियासत में 2006 में ऐसा राजनीतिक उलटफेर हुआ और रातोरात एक निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हो जाता है. यह करिश्मा कर दिखाने वाले शख्स का नाम मधु कोड़ा है. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. हालांकि चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने हाई कोर्ट से लेकर देश की शीर्ष अदालत तक का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली.

खदान में मजदूरी करने वाले एक शख्स के झारखंड का मुख्यमंत्री मधु कोड़ा बनने तक का सफर बेहद रोमांचक है. पिछले विधानसभा चुनाव में कोड़ा चाईबासा की मंझगांव विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे. झारखंड के पश्चिम सिंहभूम के जगन्नाथपुर के पाताहातू गांव में मधु कोड़ा का जन्म 6 जनवरी, 1971 को हुआ. मधु कोड़ा का शुरुआती जीवन संघर्षों से भरा रहा, जिसके चलते घर चलाने के लिए उन्हें खदान में मजदूरी का काम करते थे. इसके अलावा उनके पिता भी खेत में मजदूरी का काम किया करते थे.

 ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले मधु कोड़ा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में सक्रिय रहे, तो बीजेपी के टिकट पर पहली बार विधानसभा पहुंचे. कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सहयोग से वह झारखंड के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बने, जो निर्दलीय चुनकर आए थे. निर्दलीय विधायक होने के बावजूद मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल करने वाले कोड़ा देश के तीसरे सीएम बने. 

झारखंड के पांचवें मुख्यमंत्री के रूप में मधु कोड़ा ने 18 सितंबर, 2006 को शपथ ली और 27 अगस्त 2008 तक रहे. इस तरह मधु कोड़ा ने मुख्यमंत्री के रूप में 23 महीने तक का कार्यकाल पूरा किया. देश में मधु कोड़ा से पहले कोई निर्दलीय विधायक इतना लंबे समय तक सीएम पद पर नहीं रहा था.

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