झारखंड का हर मुख्यमंत्री हार चुका है विधानसभा चुनाव, क्या इस बार रघुवर दास तोड़ेंगे रिकॉर्ड?

झारखंड के 19 साल के सियासत में जितने भी मुख्यमंत्री रहे हैं, उन सभी को चुनावी मैदान में मात मिल चुकी है. बाबूलाल मरांडी से लेकर हेमंत सोरेन तक सियासी रण में चुनाव हार चुके हैं. ऐसे में मौजूदा मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी सीट पर कड़ी चुनौती है.

Update: 2019-11-20 10:40 GMT

झारखंड विधानसभा चुनाव की जंग की जद्दोजहद तेज हो गई है. झारखंड के 19 साल के सियासत में जितने भी मुख्यमंत्री रहे हैं, उन सभी को चुनावी मैदान में मात मिल चुकी है. बाबूलाल मरांडी से लेकर हेमंत सोरेन तक सियासी रण में हार का स्वाद चख चुके हैं. ऐसे में मौजूदा मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी सीट बीजेपी के बागी सरयू राय निर्दलीय मैदान में हैं तो कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेता गौरव बल्लभ को उतारा है. ऐसे में देखना होगा कि रघुवर दास रिकॉर्ड तोड़ेंगे या फिर मुख्यमंत्रियों की हार का इतिहास दोहराएंगे.

बता दें कि झारखंड की राजनीति इतनी कॉम्प्लेक्स है कि इस राज्य के गठन को 19 साल हुए हैं और छह नेता सीएम बन चुके हैं. झारखंड में अब तक रघुवर दास पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा करके नया इतिहास रचा है. जबकि, इससे पहले राज्य में बाबू लाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधू कोड़ा, हेमंत सोरेन सीएम बन चुके हैं. लेकिन इनमें से कोई भी मुख्यमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया था. लेकिन अब उनके सामने जमेशदपुर पूर्वी सीट से चुनावी जंग फतह कर रिकॉर्ड बनाने की चुनौती है.

झारखंड के गठन के साथ ही 2000 में पहली बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब रही थी और बाबूलाल मरांडी राज्य के पहले सीएम बने थे. इसके बाद बीजेपी के अर्जुन मुंडा, फिर 2014 में रघुवर दास सीएम बने. बाबूलाल मरांडी ने बीजेपी से बगावत कर अलग झारखंड विकास पार्टी बना ली है. 2014 में गिरिडीह और धनवार सीट से बाबूलाल मरांडी मैदान में उतरे, लेकिन दोनों सीट से जीत नहीं सके.

ऐसे ही बीजेपी से तीन बार झारखंड के सीएम रहे अर्जुन मुंडा को ही 2014 में खरसावां सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा था. अर्जुन मुंडा को झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी दशरथ गागराई ने 11 हजार 966 मतों से मात दिया था.

झारखंड के दिग्गज नेता जेएमएम अध्यक्ष शिबू सोरेन तीन बार मुख्यमंत्री बने हैं. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि मधु कोड़ा के हटने के बाद 2008 में शिबू सोरेन सीएम बने, उस समय वह विधानसभा के सदस्य नहीं थे. ऐसे में 2009 में उन्होंने तमाड़ विधानसभा सीट से किस्मत आजमाई, लेकिन जीत नहीं सके. उप चुनाव में शिबू सोरेन को झारखंड पार्टी के प्रत्याशी राजा पीटर ने 8,973 मतों से हरा दिया था. विधानसभा चुनाव हार जाने के चलते उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा था और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था. हालांकि इसके बाद वो 2010 में फिर मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे थे.

साल 2013 में हेमंत सोरेन झारखंड के सीएम बने थे. सीएम रहते हुए हेमंत सोरेन ने 2014 के विधानसभा चुनाव में दो विधानसभा सीटों से किस्मत आजमाया था. 2014 विधानसभा चुनाव में हेमंत ने बरहेट और दुमका दो सीटों से चुनाव लड़ा था. इसमें वे बरहेट से जीत गए थे पर दुमका में उनकी हार हुई थी. दुमका में बीजेपी की डॉ. लुईस मरांडी ने हेमंत सोरेन को 5262 मतों से हराया था. जबकि, बरहेट से हेमंत ने बीजेपी के हेमलाल मुर्मू को 24087 मतों से मात दिया था.

आजसू से अपना सियासी सफर शुरू करने वाले मधु कोड़ा पहली बार बीजेपी से विधायक बने. 2005 में टिकट न मिलने से कोड़ा बगावत पर निर्दलीय मैदान में उतरे और विधायक बनकर सीएम की कुर्सी तक पहुंचे. 2014 के विधानसभा चुनाव में मधु कोड़ा चाईबासा की मंझगांव विधानसभा सीट से जय भारत समानता पार्टी से मैदान में उतरे थे. कोड़ा को जेएमएम के नीरल पूर्ति ने 11710 मतों से मात दिया था.

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