इंदौर के बारे में प्रधान जी ने जो ज्ञान दान दिया, उसे सुनकर बीजेपी भी होगी हैरान!
इंदौर में पता नहीं किन मूर्खों ने उटपटांग तथ्यों से युक्त भाषण के नोट्स तैयार कर प्रधान सेवक जी को थमा दिए.;
अनिल जैन
इंदौर में पता नहीं किन मूर्खों ने उटपटांग तथ्यों से युक्त भाषण के नोट्स तैयार कर प्रधान सेवक जी को थमा दिए। प्रधान जी ने भी सभा के मंच से उम्मीदवारों के नामों को उच्चारने के बाद नोट्स लिखे पर्चे पर निगाह डाली और चालु हो गए। उन्होंने कहा कि पहले इंदौर एक छोटा ट्रेडिंग सेंटर हुआ करता था लेकिन शिवराज जी ने पिछले 15 साल में इंदौर को मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी बना दिया।
भाषण के नोट्स तैयार करने वाले अगर थोडे भी पढे-लिखे होते या इंदौर के बारे में जानकारी रखते तो प्रधान जी के श्रीमुख से ऐसी बकवास नहीं करवाते। क्योंकि इंदौर आज या कल से नहीं बल्कि देश की आजादी के बाद से ही मध्य भारत और मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी रहा है और आज भी है। दो दशक पहले तक इंदौर में छह कपडा मिलें चलती थीं जिनसे 60 हजार से ज्यादा परिवार पलते थे। देश के कपडा उद्योग में इंदौर का तीसरा नंबर हुआ करता था। इंदौर में पिछले 60 साल से जितना बडा और व्यवस्थित कपडा मार्केट बसा हुआ है, वैसा आज भी देश में और कहीं नहीं है। चांदी-सोने के आभूषण और बर्तनों के कारोबार में भी पूरे राज्य में इंदौर शुरू से ही अव्वल रहा हैं। प्रदेश में कपडों की रंगाई का भी सबसे बडा केंद्र इंदौर ही था जो अब नहीं है।
2006 तक राज्य सरकार को मिलने वाले राजस्व का 48 फीसद हिस्सा इंदौर देता था, जो बाद के सालों में घटते-घटते अब 29 फीसद हो गया है। प्रधान जी के मुंह से यह भी कहलवाया गया कि अहिल्याबाई इंदौर की महारानी थीं, जबकि हकीकत यह है कि अहिल्याबाई ने इंदौर से कभी अपना शासन नहीं चलाया। अहिल्याबाई के समय होल्कर स्टेट की राजधानी इंदौर नहीं बल्कि महेश्वर हुआ करती थी। इंदौर तो उनकी रियासत का एक नगर हुआ करता था।
इंदौर के बारे में यह सारा 'ज्ञान' पेलने के बाद उन्होंने कहा कि दस साल तक केंद्र में चूंकि मां-बेटे के रिमोट से चलने वाली सरकार थी इसलिए मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार को कोई काम करने का मौका ही नहीं मिला और उसने जो भी काम किया वह पिछले साढे चार साल में ही किया। यहां सवाल है कि अगर दस साल तक काम करने का मौका नहीं मिला तो क्या उन दस वर्षों में शिवराज सिंह और उनकी सरकार क्या सिर्फ व्यापमं कांड, डंपर घोटाला, अवैध रेत खनन जैसे कारनामों को अंजाम देने और गरीबों की पेंशन डकारने में ही लगी रही?
अपनी तो प्रधान जी को बिन मांगी सलाह है कि इस तरह की अगडम-बगडम हांकने के बजाय वे अपना चिर-परिचित गाली-गलौच वाला भाषण ही देते रहे तो ठीक है। उसमें कोई तथ्यात्मक गलती भी नहीं रहेगी और भगतजनों की तालियां मिलेगी सो अलग। इससे चिरकुट टीवी चैनलों को टीआरपी भी खूब मिलेगी। भारत माता की जै।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है और ये उनके निजी विचार है)