26/11 Attacks : शरीर से आर-पार हो रही थी गोलियां, तुकाराम ने फिर भी नहीं छोड़ी कसाब की गर्दन

हमले में एक मात्र आतंकी जिंदा पकड़ा गया था जिसका नाम था अजमल कसाब। कसाब को जिंदा पकड़ने में मुंबई पुलिस के एएसआई तुकाराम ओंबले शहीद हो गए थे।

Update: 2020-11-26 06:00 GMT

26/11 मुंबई हमले की आज बरसी है, 2008 में मुंबई में हुए इस आतंकी हमले में 166 लोग मारे गए थे, अटैक ने देश ही नहीं दुनिया को हिलाकर रख दिया था। हमले में एक मात्र आतंकी जिंदा पकड़ा गया था जिसका नाम था अजमल कसाब। कसाब को जिंदा पकड़ने में मुंबई पुलिस के एएसआई तुकाराम ओंबले शहीद हो गए थे।

गोलियां बरस रही थीं, लेकिन फिर भी कसाब को नहीं छोड़ा

उम्र यही कुछ 53-54 के आस-पास, खाता-पीता शरीर और लंबाई यही होगी कुछ 5 फीट 6 इंच के आस-पास। ताऱीख थी- 26 नवंबर 2008, पूरे शहर में आंतक मचा हुआ था। पता था कि अभी पूरे शहर में सब कुछ काफी खराब चल रहा है।

लोग डरे हुए हैं, अभी यही सब दिमाग में चल रहा था कि अचानक वायरलेस पर अनाउंसमेंट हुआ कि एक सिल्वर कलर की स्कोडा जा रही है, उसे किसी भी कीमत पर रोकना है। ऑर्डर मिलते ही मुंबई पुलिस का ये एएसआई चौकन्ना हो गया और अपनी पूरी टीम को अटेंशन मोड पर कर दिया।

रोड पर खड़ी हुई सभी गाड़ियों को निकाल कर बैरीकेडिंग करने के लिए कहा गया, ताकि वो सिल्वर कलर की स्कोडा हाथ से निकल न जाए जिसके लिए अनाउंसमेंट की गई थी। थोड़ी ही देर हुई कि एएसआई साहब ने आवाज़ लगाई कि सर, स्कोडा लग रही है बैरिकेड लगाओ।

गाड़ी आई और बेरिकेडिंग देखकर खड़ी हो गई।

26/11 के शहीद 

26/11 के शहीद

पूरी सड़क पर सिर्फ पुलिस की गाड़ियां और वो सिल्वर कलर की स्कोडा ही थी। आवाज़ों की बात करें तो वहां सिर्फ मुंबई पुलिस के जवानों की आवाज़ें आ रही थी कि नीचे उतरो, गाड़ी में बैठे 2 शख्स कोई जवाब नहीं दे रहे थे। अचानक कार जिस रास्ते से आई थी, वहीं के लिए वापस मुड़ने लगी। यही वो समय था जब गोलियों की गड़गड़ाहट से मुंबई की सड़कें सहम गईं।

ताबड़तोड़ फायरिंग के बाद कार वहीं रुक गई और किसी भी तरह की कोई हलचल महसूस नहीं की जा रही थी।

मुंबई पुलिस की खाकी वर्दी, नीली टोपी लगाए और हाथ में 3-4 फुट का डंडा लिए एएसआई ने जैसे ही बैरिकेडिंग तोड़ी, वैसे ही वहां तैनात की गई पूरी टीम उनके पीछे-पीछे चल पड़ी। कार के पास गए तो देखा कि उसमें दो लोगों में से एक की मौत हो चुकी थी जबकि दूसरा बेसुध अपनी सीट पर ही पड़ा हुआ था।

एएसआई ने कार की बांई ओर वाला दरवाज़ा खोला और देखा कि बांई सीट पर बैठा शख्स ज़िंदा है।

ये देखते ही एएसआई उस लड़के से दिखने वाले शख्स पर टूट पड़े। लेकिन अफसोस उसके हाथों में मौजूद एके-47 ठीक एएसआई के पेट के नीचे आ चुकी थी। शेर जैसा दिल रखने वाले इस एएसआई ने अपना डंडा फेंका और उस आंतकी को अपने चट्टान जैसे हाथों से दबोच लिया।

लेकिन वो नहीं हुआ जो आप और हम चाहते थे। एक के बाद एक गोलियों ने एएसआई के पूरे शरीर को छलनी कर दिया। लेकिन हिम्मत तो देखिए इस शेर दिल इंसान की जो गोलियां खाते रहे लेकिन उस आतंकी को छोड़ा नहीं और उसकी गिरेबान पकड़कर कार से बाहर खींच लाए। और तबतक खाते रहे जबतक उनकी सांसों ने उनका साथ नहीं छोड़ा।

आतंकी इस्माइल तो फायरिंग में ही मारा जा चुका था, लेकिन एएसआई को गोलियां मारने वाला अजमल कसाब ज़िंदा पकड़ लिया गया।

जिस शेरदिल पुलिस अफसर की बात हम कर रहे हैं उनका नाम है- तुकाराम गोपाल ओंबले।

जो अब इस दुनिया में तो नहीं हैं लेकिन 130 करोड़ भारतीयों के दिल में हैं


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