S-400 की डील पर लगी मुहर, लेकिन अब भी फंसे है कई पेच!
हैदराबाद हाउस में करीब पांच अरब डॉलर की लागत वाली वायु सुरक्षा प्रणाली एस-400 डील पर भी दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए।;
नई दिल्ली : पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को दोनों देशों के आपसी संबंधों को एक नई ऊंचाई प्रदान की। अपनी वार्षिक बैठक में भारत और रूस ने अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग, रेलवे सहित आठ अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इसमें भारत की महत्वाकांक्षी मानवयुक्त अंतरिक्ष योजना 'गगनयान' भी शामिल है। भारती की इस योजना में रूस अपना सहयोग देगा। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि हैदराबाद हाउस में करीब पांच अरब डॉलर की लागत वाली वायु सुरक्षा प्रणाली एस-400 डील पर भी दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए।
लेकिन अब दोनों देशों के बीच सबसे बड़ी चुनौती पैसे के ट्रांसफर की है। रूस अमेरिका द्वारा प्रतिबंध का सामना कर रहा है। ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट के लिए 5.43 बिलियन डॉलर के ट्रांसफर को लेकर चुनौती बनी हुई है। बताया जा रहा है कि जिस एस-400 का प्रॉडक्शन करने वाली कंपनी भी अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रही है। ऐसे में इस डील के लिए भले ही अमेरिका भारत को छूट दे दे, लेकिन प्रॉडक्शन कंपनी पर लगे प्रतिबंध की वजह से बैंकिंग लेनदेन काफी मुश्किल होगा।
काफी लंबी बातचीत के बाद जहां अब डील फाइनल हो गई है, वहीं अब भारत के सामने रूस को पैसा ट्रांसफर करने को लेकर सबसे बड़ी चुनौती होगी। जानकारों का कहना है कि डील साइन होने के बाद फॉरेन सप्लायर को प्रॉडक्शन चालू करने के लिए 15 प्रतिशत अडवांस में दिया जाएगा। एस-400 के मामले में बात करें तो इसे मैन्युफैक्चरर अलमाज-ऐंटी अमेरिकी प्रतिबंधों की लिस्ट में है, जिसकी वजह से इस पर बैंकिंग लेनदेन पर रोक लगी है। भले ही भारत को इस डील में अमेरिका की तरफ से रियायत मिल जाए, लेकिन इसके बावजूद भी प्रॉडक्शन कंपनी पर लगा प्रतिबंध इस डील के आड़े आएगा।
दोनों देशों के बीच इस डील लिए बैंकिंग लेनदेन को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ेगा। यहां तक कि रूस के साथ पूर्व में की गई डील के लिए भी पेमेंट फिलहाल रूकी हुई है। मामले की जानकारी रखने वालों का कहना है कि अमेरिका द्वारा रूस पर प्रतिबंध से पहले ही एस-400 को लेकर बात चल रही है। नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने भारत को मिलने वाली छूट को लेकर अभी तक कोई वादा नहीं किया है।