राहुल की बढती साख का पीएम मोदी पर नहीं कोई असर

Update: 2016-02-19 13:08 GMT


बिहार के विधानसभा चुनाव में जब केंद्र में सत्तासीन भाजपा को करारी मिली, तो सवाल सियासत से लेकर सियासी नेतृत्व पर भी उठने लगे। विपक्ष के साथ अपनों ने भी पीएम नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े किए। लेकिन क्या 2014 के लोकसभा चुनाव में अपार बहुमत के साथ सत्ता का सुख भोग रहे प्रधानमंत्री को लेकर देश का मिजाज भी बदला है?


कैसा है PM मोदी का कामकाज?
नरेंद्र मोदी की सरकार अपेक्षाओं की सरकार है। सत्तासीन एनडीए की इस सरकार को लेकर सर्वे में जहां लोगों ने यह माना कि अभी तक 'अच्छे दिन' लाने में प्रधानमंत्री नाकाम रहे हैं, वहीं पीएम के कामकाज को लेकर लोगों की अलग-अलग राय देखने को मिली है।

सर्वे में शामिल 19 राज्यों के 97 संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं में 21 फीसदी ने मोदी सरकार को गरीबों की हितैषी माना है।

जबकि 20 फीसदी यह कहते हैं कि केंद्र सरकार 'केवल बात करती है, काम नहीं।

सरकार पर लगातार लग रहे 'अल्पसंख्यक विरोधी' होने के आरोपों को महज 12 फीसदी ने सही माना है, जबकि सरकारी कामकाज में 'आरएसएस के दखल' के आरोपों को भी सिर्फ 2 फीसदी ने ही सही माना है.


कैसे किया गया सर्वे

इंडिया टुडे ग्रुप और कार्वी का यह सर्वे 24 जनवरी से 5 फरवरी के बीच किया गया।
इसके लिए 13576 लोगों से बात की गई।
ये लोग देश के 97 संसदीय क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं।
जो 19 राज्यों के 194 विधानसभा क्षेत्र भी हैं।


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