बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी बोले, क्या चीनी सेना डोकलाम में फिर घुस आई है, विदेश मंत्रालय स्थिति साफ करे'!

Update: 2020-06-22 10:24 GMT

भारत और चीन के बीच लद्दाख से लगी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। चीनी सेना ने लद्दाख में तीन अलग-अलग जगह भारत के निर्माण कार्यों के जवाब में अपनी तरफ निर्माण शुरू कर दिए हैं। इस बीच भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स से दावा किया है कि चीन ने भारत-भूटना और चीन के ट्राई-जंक्शन पर स्थित डोकलाम में फिर से घुसपैठ की है। उन्होंने इस मामले में भारत के विदेश मंत्रालय से स्थिति साफ करने के लिए कहा है।

स्वामी ने ट्वीट में कहा,अमेरिकी मीडिया सोर्सेज (न्यूयॉर्क टाइम्स, आदि) कह रहे हैं कि चीन ने भारत के साथ पिछले साल डोकलाम पर किया गया समझौता रद्द कर दिया है। इसके तहत चीन अपनी सेना भूटान से वापस ले जा रहा था और भारत ने इसे अपनी जीत बताया था। हालांकि, अब सूत्रों का कहना है कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) फिर से डोकलाम में घुस गई है। विदेश मंत्रालय को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए या इसे निराधार करार दे।

गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है, जब सुब्रमण्यम स्वामी ने सरकार से विदेश नीति पर कोई जवाब मांगा है या उसे कोई सलाह दी है। हाल ही में उन्होंने लद्दाख में तनाव के उभरने पर जवानों की शहादत के बाद कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का नाम लेकर उन्हें गलवान घाटी खाली कराने के लिए कहना चाहिए। स्वामी ने कहा था कि यह हास्यास्पद है कि एक विदेश मंत्री इस तनाव के समय में अपने चीनी समकक्ष से कोरोनावायरस महामारी पर चर्चा के लिए मुलाकात करेंगे। पीएम को तो उन्हें भेजना नहीं चाहिए था या फिर स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को भेजना था।

इससे पहले स्वामी ने एक वीडियो इंटरव्यू में कहा था कि भारत को अब चीन के खिलाफ मजबूत कदमों के लिए तैयायर रहना चाहिए। उन्होंने कहा था कि अगर चीन भारत के साथ युद्ध में जाता है, तो हम उसे बुरी तरह हराएंगे। उन्होंने भारत को एक संवेदनशील देश बताते हुए कहा था कि अगर कोई हमारी जमीन पर कब्जा करता है, तो यह चुनौती है।

भारत और चीनी की पीएलए के बीच 2017 में 73 दिन तक डोकलाम विवाद चला था। दरअसल, चीन, भारत और भूटान के ट्राईजंक्शन पर स्थित डोकलाम में चीनी सेना ने सड़क का निर्माण शुरू कर दिया था। 18 जून 2017 को भारत ने इस जगह पर अपनी सेना भेजकर चीन का निर्माण कार्य रुकवा दिया था। दो महीने से ज्यादा समय तक चले इस विवाद में 28 अगस्त को नया मोड़ आया, जब चीनी सेना ने इस क्षेत्र से लौटने का ऐलान कर दिया।

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