272 में 12 प्रचारकों का भाजपाई कनेक्शन
प्रचारकों की राजनीत और ईनाम के लिए कुछ भी करने वाले प्रचारक;
जब सुप्रीम कोर्ट स्वतंः संज्ञान लेना भूल चुका है तो 272 लोगों की यह चिट्ठी स्वतः स्फूर्त तो नहीं ही हो सकती है। लोगों से दस्तखत कराए गए हैं। बहुतों ने मना कर दिया पर जिन्होंने किए उनके पास और कोई विकल्प नहीं था
1. लक्ष्मी पुरी एक राजनयिक रह चुकी हैं। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी की पत्नी हैं। उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला है। (27 नंबर पर हैं)
2. आदर्श कुमार गोयल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज हैं। ये सुप्रीम कोर्ट में अपना विदाई भाषण पढ़ रहे थे और दूसरी तरफ इनके लिए एनजीटी के चेयरमैन की कुर्सी खाली कर दी गई थी। (एक नंबर पर )
3. हेमंत गुप्ता सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व जज हैं। इन्होंने कर्नाटक हाइकोर्ट में जज रहते हुए हिजाब बैन का विवादास्पद फैसला दिया था। इन्होंने ही कर्नाटक की तत्कालीन भाजपा सरकार के स्कूल कॉलेजों में लड़कियों के हिजाब पहनने पर बैन लगाने के फैसले को जायज ठहराया था। (दो नंबर पर हैं)
4. पूर्व रॉ चीफ संजीव त्रिपाठी 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गए थे। जबकि भारतीय खुफिया एजेंसी के चीफ के तौर पर काम करने वाले ऐसे लोगों के लिए एक कूलिंग ऑफ पीरियड होता है। इस दौरान वे किसी भी संस्था से जुड़ाव नहीं रख सकते। (17 नंबर पर हैं)
5. उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे विक्रम सिंह को सितंबर 2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने बर्खास्त कर दिया था क्योंकि इनके डीजीपी रहते राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई थी। NCRB और राज्य पुलिस के डेटा के अनुसार 2007 में महिलाओं के खिलाफ आपराधिक मामले 28 हज़ार थे लेकिन विक्रम सिंह के डीजीपी रहते 2009 में बढ़कर 38 हज़ार हो गये। (46 नंबर पर हैं)
6. निर्मला कौर (झारखंड की पूर्व डीजीपी) सितंबर 2024 में अन्य सेवानिवृत्त नौकरशाहों और पूर्व सैनिकों के साथ औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल हुईं। (62 नंबर पर हैं)
7. वाईसी मोदी (NIA के पूर्व निदेशक): सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त SIT का हिस्सा थे, जिसने 2002 के गुजरात दंगों की जांच की थी और नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी थी। बाद में उन्हें मोदी सरकार द्वारा NIA प्रमुख नियुक्त किया गया था। (18 नंबर पर हैं)
8. जस्टिस एसएन ढींगरा (दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश) भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार द्वारा रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े भूमि सौदों की जांच के लिए नियुक्त जांच आयोग का नेतृत्व किया था (5 नंबर पर हैं)
9. दीपक सिंघल - दीपक सिंघल को 2016 में यूपी का चीफ सेक्रेटरी बनाया गया था लेकिन दो महीने में ही हटा दिया गया था । दीपक सिंघल पर अपने रिश्तेदार की एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी को बहाल करने का आरोप भी लगा था। वह पहले चीनी मिल घोटाले की जांच में भी फंसे थे। वह और उनका परिवार आयकर विभाग की जांच के दायरे में रहे हैं। (22 नंबर पर हैं)
10. प्रवीण दीक्षित - महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी प्रवीण दीक्षित एसीबी में थे और महाराष्ट्र के तमाम मेडिकल कॉलेज घोटालों की जांच सही से न होने का आरोप विपक्ष ने लगाया था। 2020 में प्रवीण दीक्षित ने बीजेपी का समर्थन करते हुए सीएए और एनआरसी को सही बताया था। (41 नंबर पर हैं)
11. अनिल त्रिगुणायत: - पूर्व राजदूत हैं। विवेकानंद फाउंडेशन में सीनियर फेलो हैं। बीजेपी से भी जुड़े हुए हैं। (38 नंबर पर हैं)
12. जस्टिस शुभ्रो कमल मुखर्जीः - जस्टिस शुभ्रो कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस थे।। वो भी बीजेपी से जुड़े हुए हैं। (तीन नंबर पर हैं)
(सोशल मीडिया पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर)