लॉकडाउन के साथ मूर्खता का प्रदर्शन जारी है

Update: 2020-05-19 08:29 GMT

Peri  Maheshwer 

इस तरह, हर व्यवसाय की हर याचिका और मांग को कूड़े दान में डाल दिया गया है। हो सकता है, कई मुद्दों पर एक मूक दर्शक बने रहने के कारण वे इसी लायक हों। हॉस्पिटैलिटी और पर्यटन उद्योग ने कहा है, "वित्त मंत्री का भाषण सुनकर पूरा उद्योग उलझन में, परेशान और अविश्वास में है। देश में 53,000 होटल, 70 लाख रेस्त्रां है जो भारत की जीडीपी में 10 % का योगदान करता है और चार करोड़ 30 लाख लोगों को रोजगार देता है। ऑटोमोबाइल निर्माता भी सदमे की स्थिति में हैं। एयरलाइन उद्योग का भी वही हाल है।

सरकार की पूरी उदासीनता और गिरावट को रोकने की किसी योजना की कमी भारत को ज्यादा नहीं तो कुछ दशक पीछे ले ही जाएगी। जिस देश को साल में 40 लाख रोजगार के मौके तैयार करना चाहिए वह हर साल 25 करोड़ नौकरियां खो रहा होगा और सरकार पर कोई असर ही नहीं है। एक बेवकूफ, सूदखोर की तरह, मूलधन तथा भविष्य की कमाई सुरक्षित करने की बजाय वह सूद की मामूली कमाई गिन कर खुश है। दरअसल कोविड-19 के बाद से, सरकार ने नियोक्ताओं को समय पर वेतन देने, छंटनी से बचने के लिए कहा जबकि पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ा, खुद पर जोखिम लिए बिना चार बार लॉकडाउन किया जा चुका है, बिजली की दर बढ़ाई गई, मांग की गई कि राज्य कर्ज लेने के लिए पूर्व शर्त के रूप में अपने नगर करों में वृद्धि करें।

इस पूरी मुश्किल अवधि में सारा बोझ आम लोगों पर रहा है और टैक्स दर में कोई कमी नहीं की गई है। सरकार ने कोई राजस्व नहीं छोड़ा और हमारे बैंकों को सभी जोखिम लेने के लिए मजबूर किया। सरकार का राजस्व हम 70 करोड़ लोगों पर निर्भर है जो रोजगार करते हैं, कमाते और खर्च करते हैं । अंत में, बेवकूफ सूदखोर मूलधन और भविष्य की आय को जोखिम में रखकर उच्च ब्याज दर से खुश हो सकता है और यह सब कुछ लोगों की चुप्पी तथा सीईओ के रूप में काम करने वाले सूदखोरों की बेवकूफी से संभव हुआ है।

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