पंजाब: सब्सिडी नहीं मिलने पर किसान पराली जलाने को हुए मजबूर

किसान राम सिंह ने बताया, ‘पराली जलाने के अलावा हमारे पास कोई रास्ता नहीं बचा है, क्यों कि राज्य सरकार ने हमें 50 फीसदी सब्सिडी मुहैया नहीं कराई है, जिसकी घोषणा सितंबर में हुई थी

Update: 2021-10-15 10:12 GMT

हेमंत कुमार दुबे

बठिंडा : राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच पंजाब में किसानों ने पराली जलाना शुरू कर दिया है। बठिंडा से पराली जलाए जाने की खबरें सामने आई हैं। किसानों का कहना है कि उन्हें अब तक 50 फीसदी सब्सिडी नहीं मिली है। ऐसे में उनके पास पराली जलाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को दिल्ली की हवा खराब होने का कारण बता रहे हैं।

किसान राम सिंह ने बताया, 'पराली जलाने के अलावा हमारे पास कोई रास्ता नहीं बचा है, क्यों कि राज्य सरकार ने हमें 50 फीसदी सब्सिडी मुहैया नहीं कराई है, जिसकी घोषणा सितंबर में हुई थी। हमने खुद से ही इस पराली को जलाने में 5-6 हजार रुपए खर्च किए हैं और पंजाब सरकार ने कोई भी मुआवजा नहीं दिया है।' उन्होंने कहा कि फसल बुवाई का समय आ गया है। ऐसे में उन्हें इस पराली को जलाना होगा।

बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर उन्होंने कहा, 'कई जगह बहुत प्रदूषित हैं। वाहन, फैक्ट्रीज और अन्य चीजें भी वायु प्रदूषण बढ़ाती हैं। कोई भी उनके बारे में कुछ नहीं कह रहा, तो हमें वायु प्रदूषण फैलाने के लिए क्यों जिम्मेदार ठहराया जा रहा है?' उन्होंने कहा, 'हमारा भी परिवार है, जो वायु प्रदूषण से प्रभावित हो सकता है। लेकिन हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। और इतनी ज्यादा पराली जलाना प्रदूषण बढ़ने का एकमात्र कारण है।'

बुधवार को बठिंडा के देओन गांव से पराली जलाने की तस्वीरें सामने आई थी। तब एक किसान का कहना था, 'हम पराली नहीं जलाना चाहते, लेकिन दूसरे उपाय बहुत महंगे हैं और आर्थिक रूप से उनका इस्तेमाल संभव नहीं है।' उन्होंने कहा कि बगैर उपाय दिए किसानों पर जुर्माना लगाने से काम नहीं चलेगा। एक अन्य किसान रविंद्र सिंह ने कहा कि अगर सरकार उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई करेगी, तो वे उन्हें घोषणा किए हुए मुआवजे की याद दिलाएंगे। सितंबर में पंजाब सरकार ने पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए नए कदम उठाए थे। इस साल सितंबर में केंद्र ने फसल अवशेषों के जलाने में इस्तेमाल होने वाली मशीनरी को सब्सिडी देने के लिए 496 करोड़ रुपये जारी किए थे, ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके।

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