राजस्थान की बड़ी खबर : ठाकुर तो ग्यो ........? दीपावली पर फूटेंगे बम

Update: 2022-10-19 08:29 GMT

Big news about Ashok Gehlot of Rajasthan

राजस्थान में बदलाव होना लगभग तय होगया है । बदलाव क्या होगा, सबसे महत्वपूर्ण सवाल यही है । लेकिन यह सुनिश्चित है कि तीन साल से अटक रहे मसले का इस दफा ऑपरेशन होकर ही रहेगा । कांग्रेस पार्टी के बारे में किसी तरह की भविष्यवाणी करना कम से कम एक पत्रकार के लिए बड़ा ही घातक है । क्योंकि इस पार्टी में ऐसे लोग भी है जो कसम वफादारी की खाते है और मौका पड़ने पर माफी मांगने से भी नही चूकते है । ऐसे ढोंगियों से लबरेज पार्टी के बारे में किसी तरह की राय व्यक्त करना बेमानी है ।

कांग्रेस के विश्वस्त सूत्रों से मिली खबरो के अनुसार अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाने का निर्णय लिया जा चुका है । इसकी क्रियान्विति कब होगी, यह फिलहाल तय नही है । पटाखे दीपावली पर भी फुट सकते है और दीपावली के बाद भी । गहलोत के हटने का मतलब यह नही है कि सचिन पायलट इस कुर्सी पर काबिज हो जाएंगे । गहलोत की इच्छा है कि कम से कम वे अपना कार्यकाल पूरा करे । लेकिन जिस तरह इनदिनों गहलोत बुरी तरह झल्ला रहे है, उसको देखकर यही लगता है कि उनकी विदाई में अब ज्यादा समय बचा नही है ।

पिछले तीन साल में गहलोत के मुंह से कम से कम एक हजार "रगड़ाई" शब्द निकल चुका है । कल मैने अपने मित्रों से पूछा भी था कि इस रगड़ाई शब्द का मतलब क्या है । किसी ने जवाब दिया कि जिस तरह पायलट को गहलोत और गहलोत को पायलट चने चबवा रहे है, सही मायने में यही रगड़ाई है । दोनो एक दूसरे की खूब रगड़ाई (कारसेवा) करने में सक्रिय है । एक मित्र ने यह भी बताया कि जिस तरह महारानी को सतीश पूनिया सड़क नपवा रहे है, यह भी मुकम्मल रगड़ाई है ।

खैर ! अब आते है असल मुद्दे पर । सूत्र कहते है कि गहलोत को सीएम पद से रुखसत कर उन्हें गुजरात और हिमाचल प्रदेश की जिम्मेदारी देकर राजस्थान से दूर रखा जाएगा । सवाल उठता है कि फिर सचिन का क्या होगा ? सूत्र कहते है कि उनको पीसीसी चीफ की कुर्सी पर बैठाया जा सकता है । यद्यपि पायलट को यह पद स्वीकार होगा, इसमे संदेह है । लेकिन इतने दिनों की रगड़ाई के बाद पायलट को भी यह समझ लेना होगा कि हर मुराद पूरी नही होती है ।

एक मिनट के लिए मान लेते है कि आलाकमान सीएम की कुर्सी पर पायलट को बैठाने पर अड़ ही जाता है तो चुप बैठने वाले तो गहलोत भी नही है । बागी का टैग उन पर लग ही चुका है । सीएम की कुर्सी पर पायलट बैठ जाए, यह गहलोत किसी भी हालत में हजम नही कर पाएंगे । तेल लेने गई कांग्रेस पार्टी, वे खुली बगावत कर गुलाम नबी आजाद वाला रास्ता भी अपना सकते है । उधर तीन साल से चुप्पी साधे बैठे पायलट को अपेक्षित सम्मान नही मिलता है तो उनके लिए आम आदमी पार्टी रेड कार्पेट बिछाए स्वागत को आतुर है ।

जैसा कि मैंने पहले लिखा था, उस पर आज भी कायम हूँ । राजस्थान की समस्या का हल केवल आपसी बातचीत से ही सम्भव है । यदि आलाकमान ने चाबुक के जरिये रुआब झाड़ने की कोशिश की तो पार्टी का सवा सत्यानाश होना लाजिमी है । आलाकमान भी इस बात से बखूबी वाकिफ है । उसकी समस्या यह है कि पायलट को मनाता है तो गहलोत खफा और गहलोत को सीएम बनाए रखा जाता है तो पायलट के सब्र का बांध भी उफान मार सकता है । पायलट और गहलोत के बीच मे कांग्रेस सैंडविच बनकर रह गई है । अंततः नुकसान तो पार्टी का ही होगा ।

सारी बात का निचोड़ यही निकलता है कि पार्टी आलाकमान इस माह के अंत से पहले कोई मुकम्मल रास्ता निकालने की फिराक में है । सवाल घूम फिरकर वही आता है कि आखिर इस समस्या का हल क्या है ? पूरे सचिवालय, सरकारी दफ्तरों और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच एक ही सवाल पूछा जाता है । क्या गहलोत की विदाई होने वाली है ? होगी तो कब ? पूरा प्रशासन ठप्प है और अफसर और विधायक केबीसी खेलने में व्यस्त है ।

दूरबीन से देखने और सूत्रों से पूछने के बाद जो तस्वीर उभरकर आई है उसके मुताबिक गहलोत को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी और पायलट संभालेंगे पीसीसी चीफ की जिम्मेदारी । सीएम की कुर्सी पर कौन काबिज होगा, यह टेढ़ा प्रश्न है । चर्चा है कि सीपी जोशी का नाम गहलोत आगे कर सकते है । लेकिन पायलट को यह नाम स्वीकार होगा, इसमे संदेह है । गोविंद सिंह डोटासरा के नाम पर भी सहमति बनती दिखाई नही देती है । बदली हुई परिस्थितियों में लालचंद कटारिया और हेमाराम चौधरी की भी लॉटरी खुल सकती है । वैसे ममता भूपेश का विकल्प समाप्त नही हुआ है । 

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