मेरी सक्रियता के बारे में राजस्थानियों को कुछ ही दिनों में पता चल जाएगा - कलराज मिश्र

राज्यपाल पद की शपथ लेते ही कहा अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला सही।

Update: 2019-09-09 13:29 GMT

9 सितम्बर को कलराज मिश्र ने जयपुर में राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ ग्रहण कर ली है। मिश्र हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के पद से स्थानांतरित होकर राजस्थान आए हैं। दो माह पहले तक मिश्र भाजपा की राजनीति में सक्रिय थे।

राज्यपाल पद की शपथ लेने के बाद जयपुर में एक संवाददाता सम्मेलन में मिश्र ने कहा कि अब उनका राजनीति से कोई वास्ता नहीं है, वे एक राष्ट्र, एक जन और एक संस्कृति की विचारधारा के तहत संवैधानिक तरीके से अपना काम करेंगे। मेरी राजनीतिक विचारधारा पूर्व में कुछ भी रही हो, लेकिन मैं संविधान के अनुरूप ही राजस्थान के लोगों की सेवा करुंगा। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर केन्द्र सरकार ने सराहनीय कार्य किया है। यह संविधान की भावना के अनुरूप है, जहां तक राजस्थान में मेरी भूमिका का सवाल है तो अगले कुछ ही दिनों में राजस्थान के लोगों को मेरी सक्रियता के बारे में पता चल जाएगा।

कल्याण सिंह ने राज्यपाल के पद पर रहते हुए जो परंपराएं शुरू की थी, उन्हें मैं भी जारी रखूंगा मैंने सुरक्षा व्यवस्था में लगे अधिकारियों को निर्देश दिए है कि गार्ड ऑफ ऑनर जैसे परंपरा को बंद कर दिया जाए। इसी प्रकार मुझे भी महामहिम के बजाए माननीय राज्यपाल कहकर संबोधित किया जाए। उन्होंने कहा कि मुझे राजस्थान के विश्वविद्यालयों के बारे में बताया गया है। मैं चाहता हंू कि हमारे विश्वविद्यालय भारतीय संस्कृति के वाहक बने।

उन्होंने कहा कि मेरा प्रयास होगा कि विश्वविद्यालयों में कुलपति शिक्षक आदि नियुक्त हो और समय पर परीक्षाएं हों, ताकि विद्यार्थियों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। उन्होंने कहा कि राजभवन में जनता दरबार कैसे लगेगा, इसकी जानकारी भी जल्द मिल जाएगी। मेरा प्रयास होगा कि राज्य की सरकार के सहयोग से आम लोगों की समस्याओं का समाधान किया जाए। मुझे पता है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन राज्यपाल और सरकार के बीच विवाद की कोई बात ही नहीं है।

उन्होंने कहा कि मैं जब राज्यपाल के तौर पर जयपुर आया तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और तमाम बड़े अधिकारियों ने मेरा स्वागत किया। मैं इस स्वागत से अभिभूत हंू। राजस्थानियों की मेहनत का उल्लेख करते हुए मिश्र ने कहा कि एक कहावत है, जहां न पहुंचे बैलगाड़ी वहां पहुंचे मारवाड़ी। 

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