पायलट के चारो ओर अंधेरा ही अंधेरा, समर्थित विधायको का भरोसा भी टूटा

सचिन पायलट की लाइव अपडेट स्टोरी अब क्या होगा उनका हाल!

Update: 2021-06-02 12:16 GMT

सचिन पायलट 

राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि सचिन पायलट को यूपी का प्रभारी बनाया जा रहा है । कुछ समय बाद वहां चुनाव होने वाले है । इसलिए प्रियंका चाहती है कि उनके साथ भीड़ को आकर्षित करने वाला नेता हो । आज की स्थिति में पायलट ही ऐसे एकमात्र नेता है जो भीड़ को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता रखते है । कांग्रेस में अन्य नेता भीड़ आकर्षित करने की क्षमता नही रखते है । यहां तक कि राहुल की सभा मे किराए के लोगो को बुलाना पड़ता है ।

पायलट यूपी के प्रभारी बन भी गए तो सवाल पैदा होता है कि उनका भविष्य क्या होगा ? दस-पांच साल उनका भविष्य अंधकारमय नजर आता है । केंद्र में कांग्रेस कभी काबिज होगी, इसकी कल्पना करना भी बेमानी है । और यूपी में कांग्रेस सत्ता की कुर्सी हासिल करेगी, इसकी संभावना नही है । अगले चुनावो में राजस्थान में कांग्रेस पुनः सत्ता हासिल करेगी, इसकी संम्भावना दूर दूर तक नजर नही आती । यदि आज चुनाव होते है तो बमुश्किल कांग्रेस को 50 सीट भी नही मिलेगी । पुनः सवाल पैदा होता है कि पायलट का रजनीतिक भविष्य क्या होगा ?

अगरचे अगले चुनाव में कांग्रेस बहुमत हासिल कर भी लेती है तो पायलट का मुख्यमंत्री बनना बहुत कठिन होगा । उनके सामने होंगे अशोक गहलोत जो किसी भी हालत में पायलट को मुख्यमंत्री बनने नही देंगे ।

यह तयशुदा है कि कार्यकाल पूरा होने के बाद अशोक गहलोत एआईसीसी में महत्वपुर्ण जिम्मेदारी निभाएंगे । पोजिशन के हिसाब से ये दूसरे स्थान पर रहेंगे । अब सवाल यह उतपन्न होता है कि गहलोत दिल्ली चले जाएंगे तो प्रदेश की कमान किसके हाथ मे रहेगी ?

इस कार्यकाल के बाद दो स्थितियां उत्पन्न हो सकती है । कांग्रेस पुन: सत्ता में लौटे अथवा विपक्षी पार्टी बने | यद्यपि मुख्यमंत्री अगली बार भी कांग्रेस की सरकार बनने के प्रति पूर्ण रूप से आशान्वित हैं । यदि कांग्रेस पुन: सत्ता में लौटती है तो कमान किसको सौपनी है, यह जिम्मेदारी भी गहलोत को ही निभानी होगी | संभावना है कि नई सरकार का गठन कर किसी विश्वास पात्र उत्तराधिकारी को सत्ता सौंप कर वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में केंद्रीय नेतृत्व को अगले लोकसभा आम चुनावों के लिए तैयारी करने के लिए प्रमुख रोल अदा करें |

ऐसी परिस्थिति में सवाल उठता है कि अशोक गहलोत के दिल्ली जाने के बाद आखिर कौन सा राजनेता इस जिम्मेदारी को संभालने के लिए सक्षम है | प्रदेश में मुख्यमंत्री के चयन के लिए जातिगत आधार महत्वपूर्ण है | वर्तमान में पार्टी के मुख्यमंत्री तथा प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी वर्ग से आते हैं इसलिए संभावना है कि आने वाले समय में किसी अन्य जाति समूह को यह मौका मिल सकता है । वर्तमान में कांग्रेस की प्रादेशिक राजनीति में अगर नजर दौड़ाई जाये तो ब्राह्मण जाट और दलितों में ही कोई संभावना दिखाई देती है |

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