नोट बंदी बनी गले की फांस: अशोक गहलोत बता रहे थे नोटबंदी गलत उसी समय राजस्थान सरकार के दफ्तर में मिली करोड़ों की नगदी
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इसे संयोग ही कहा जाएगा कि रिजर्व बैंक द्वारा देश में प्रचलित ₹2000 के नोट पर पाबंदी लगाए जाने के आदेश के संबंध में जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बेंगलुरु में एक न्यूज़ एजेंसी ए एन आई के माध्यम से दिए गए अपने बयान में यह कहते हुए दिखाई दे रहे थे की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2000 के नोट बंद किए जाने को लेकर खुलासा किया जाना चाहिए था।
ठीक उसी समय के आसपास जयपुर में योजना मंत्रालय के कार्यालय की तहखाने में एक अलमारी में तह कर छुपाई गई करोड़ों रुपए की नकदी मिलने का भंडाफोड़ हुआ। जब लगभग सभी समाचार पत्रों के मेकअप हो जाने और प्रकाशित किए जाने की तैयारियां चल रही थी उसी समय मीडिया को बुलाया जाने पर मीडिया कर्मियों को बड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन जब मीडिया कर्मी मौके पर पहुंचे तो उन्हें आश्चर्य नहीं यह जानकर विस्फोट जैसा एहसास हुआ जब उन्हें करोड़ों रुपए की नकदी और एक किलो सोने की ईंट मिलने की जानकारी मिली।
पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि योजना भवन में आई टी डिपार्टमेंट के बेसमेंट में रखी दो अलमारियों को खोलने का प्रयास किया गया। उसमें लेपटॉप बैग और ट्रॉली वाला बैग मिला इसकी सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची, जहां से दो करोड़ 31 लाख 49 हजार की नगद रकम बरामद हुई है। इसके अलावा एक किलो इंट नुमा सोने का बिस्कुट मिला। इसी बीच विशेष जांच दल गठित किया गया है जो गंभीरता से पूरे मामले की जांच में जुट गया है फिलहाल 7 कर्मियों को पूछताछ के लिए डिटेन किए जाने की खबर है मगर इतना जरूर है कि इतनी बड़ी रकम किसी कर्मचारी की नहीं हो सकती।
प्रश्न यह भी है कि ऑफिस में सूटकेस कब और कौन लेकर आया था यह सब सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ हो सकता है! सरकारी दफ्तर में इतनी बड़ी रकम मिलने के बाद ई डी भी नजर बनाए हुए हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि बरामद की गई नगदी में सात हजार से अधिक नोट ₹2000 के बताए जाते हैं ।विपक्ष को भी अब यह आश्चर्यजनक मामला सामने आने के बाद सरकार को घेरने का मौका मिल गया है। सबसे पहले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह ने लंबा चौड़ा ट्वीट कर कहा की गहलोत का काला धन निगलते निगलते ऊपर तक पेट भर गया है इसलिए अब वह काला धन सरकारी दफ्तरों में छुपा रहे हैं।
इसी तरह के ट्वीट पूर्व केंद्रीय मंत्री राजवर्धन सिंह और नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ ने भी करके सरकार को घेरने की कोशिश की। मगर सोचने वाली बात यह है कि आखिर यह हौसला किस बहादुर का था जिसने इतनी बड़ी रकम बहुत होशियारी से सरकारी दफ्तर को काला धन छुपाने के लिए सुरक्षित समझा! इन सब सवालों का जवाब तो जांच पूरी होने के बाद ही सामने आएगा लेकिन संभवत पूरे हिंदुस्तान में इस तरह की पहली इस घटना ने कई पहेलियां जनता और नेताओं के सामने लाकर खड़ी कर दी है जिनका जवाब आसानी से नहीं ढूंढा जा सकता है। इसको लेकर देशभर के नेताओं और ब्यूरोकैसी में कई तरह की चर्चाओं का दौर जारी है।