राजस्थान में आ सकता है नया भूचाल: धारा 124 ए के जरिये मानसिक प्रताड़ना, गहलोत को कोर्ट में घसीटने की तैयारी

उम्मीद की जा रही है कि 14 अगस्त से पहले कोई हल निकल सकता है। दोनों पक्ष अब समझौते के मूड में है।

Update: 2020-08-05 11:35 GMT

महेश झालानी

अगर कांग्रेस आलाकमान ने तुरन्त हस्तक्षेप नही किया तो राजस्थान में सियासी जंग और उग्र रूप ले सकती है। सचिन पायलट गुट अब मुख्यमंन्त्री अशोक गहलोत सहित मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह), एसओजी के तत्कालीन व वर्तमान अतिरिक्त महानिदेशक अनिल पालीवाल और अशोक राठौड़ को कोर्ट में घसीटने की तैयारी कर रही है।

भरोसेमंद सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि पायलट और गहलोत के बीच मुख्यमंन्त्री पद को लेकर जबरदस्त खींचतान चली आ रही थी। इसके अलावा पायलट की निरन्तर उपेक्षा ने भी युद्ध को भड़काने में अपना भरपूर सहयोग दिया। लेकिन जब मुख्यमंन्त्री ने एसओजी की ओर से पायलट गुट के विधायको को देशद्रोह की धारा 124 ए के अंतर्गत नोटिस जारी करवाया तो पायलट गुट के सब्र का पैमाना छलक पड़ा। अंततः बगावत का परचम फहराते हुए इस गुट ने मानेसर में डेरा डाल दिया जो आज भी बरकरार है।

दोनों गुटों के बीच राजनीतिक लड़ाई के साथ साथ कानूनी लड़ाई भी जारी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी जांच प्रारम्भ करती, उससे पहले ही विधायको को जारी धारा 124 ए का नोटिस समाप्त कर राज्य सरकार ने समझदारिभरा कदम उठाया है। अगर राज्य सरकार धारा 124 ए वापिस नही लेती तो केंद्र का अनावश्यक दखल बढ़ जाता जो गहलोत के लिए अनिष्टकारी साबित हो सकता था। ऐसे में अमित शाह अपना डंडा खुलकर गहलोत पर चलाते।

सूत्रों का कहना है कि पायलट गुट गहलोत को सबक सिखाने की दृष्टि से उनको अदालत में घसीटना चाहता है। इसके लिए इनके पास मानहानि, बदले की भावना और मानसिक संताप में मुकदमा दर्ज कराने का ठोस आधार है। इस मुकदमे या वाद के जरिये उन अफसरों को भी सबक सिखाने का इरादा है जिन्होंने गहलोत के इशारे पर प्रताड़ित करने की गरज से धारा 124 ए का नोटिस जारी किया।

पता चला है पायलट खेमा इस संबंध में विधि विशेषज्ञों से राय ले रहा है। यदि पायलट गुट इस मामले को अदालत में ले जाता है तो गहलोत के साथ साथ कई अफसरों की मुसीबतें भी बढ़ सकती है। खासकर अनिल पालीवाल और वर्तमान गृह सचिव रोहित कुमार सिंह इस लपेटे में आ सकते है। इसके अलावा राजीव स्वरूप को भी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। उम्मीद है कि इनका कार्यकाल बढ़ सकता है। लेकिन यह मामला न्यायालय में जाने पर ऐसा होना मुश्किल है।

उधर खबर मिल रही है कि आलाकमान अब इस प्रकरण का पटाक्षेप करने के लिए सक्रिय है। पहले सोनिया गांधी के अस्पताल में भर्ती होने की वजह से मामला अटका हुआ था। सोनिया के राजनीतिक सलाहकार ने पायलट गुट को बातचीत का न्यौता दिया था। लेकिन पायलट केवल सोनिया से मिलकर गहलोत को हटाना चाहते है। जबकि सोनिया गहलोत को हटाने के पक्ष में नही है। ऐसे में सर्वग्राह्य रास्ता खोजा जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि 14 अगस्त से पहले कोई हल निकल सकता है । दोनों पक्ष अब समझौते के मूड में है।

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