Rajya Sabha election result: गहलोत ने बीजेपी को दिया जोर का झटका जोर से, राज्यसभा जीत से गहलोत की धाक और मजबूत

Update: 2022-06-10 12:11 GMT
Congress's Sachin Pilot, Ashok Gehlot (File Photo)

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस के तीनों प्रत्याशियों को जिताकर सचिन पायलट को एक और गहरा झटका दिया है । इस जीत से गहलोत की गांधी परिवार में साख और मजबूत होगई है । जबकि पायलट के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है । शीर्ष नेतृत्व ने तीनों प्रत्याशियों की जीत के लिए गहलोत को बधाई दी है ।

जैसा कि पहले से उम्मीद थी, उसी के अनुरूप कांग्रेस के तीनों प्रत्याशी मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी ने राज्यसभा में जीत हासिल करली । जबकि बीजेपी समर्थित प्रत्याशी सुभाष चंद्रा को चारों खाने चित होना पड़ा । चन्द्रा की हार से बीजेपी के रणनीतिकारों की न केवल जबरदस्त पोल खुल गई है बल्कि जनता में उनकी थू थू हो रही है । चन्द्रा को अपनी हार का एहसास होगया था, इसलिए वे मतगणना से पहले ही खिसक लिए ।

संख्या बल के हिसाब से कांग्रेस के तीनों प्रत्याशियों का जीतना तय था । लेकिन बीजेपी ने सुभाष चंद्रा को मैदान में उतारकर थोड़ी मुश्किल अवश्य पैदा करदी । नतीजतन कांग्रेस के साथ साथ निर्दलीय और बसपा विधायकों को 7-8 दिन उदयपुर के होटल में की गई बाड़ेबंदी में रहने को विवश होना पड़ा । कुछ विधायको के नखरेबाजी भी सामने आई । लेकिन गहलोत ने सबको राजी कर लिया । उसी का परिणाम है कि बिना किसी विध्न के तीनों प्रत्याशी सम्मानजनक तरीके से जीत गए । लेकिन बीजेपी पूरी तरह एक्सपोज होगई । पिछली दफा ओंकारसिंह लखावत को भागना पड़ा था । इस बार सुभाष चंद्रा बेआबरू होकर भागने को विवश है । यही नही कांग्रेस ने बीजेपी में तोड़फोड़ करने में भी कामयाबी हासिल की ।

गहलोत के लिए तीनो प्रत्याशियों को जिताना इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि सभी प्रत्याशी दिल्ली से भेजे गए थे । मुकुल वासनिक को सोनिया ने, सुरजेवाला को राहुल ने और प्रमोद तिवारी को प्रियंका ने भिजवाया था । इनमे से एक भी हार जाता तो गहलोत की जादुई छवि पर प्रतिकूल असर पड़ता और उनकी कुर्सी भी खतरे में पड़ जाती । इसलिए पिछले 10 दिनों से वे जी जान से मोर्चा जीतने के लिए प्रयासरत थे ।

ऐसी चर्चा थी कि राज्यसभा चुनावों के बाद राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन होगा । लेकिन इस जीत से गांधी परिवार में गहलोत की धाक और ज्यादा मजबूत होगई है । अब गांधी परिवार के पास ऐसा कोई मजबूत आधार नही है जिसकी वजह से गहलोत को हटाकर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद पर बैठाया जाए । गहलोत को बदला जाए, अब ऐसा बिल्कुल भी नही लगता । वे राज्यसभा के इम्तिहान में अव्वल नम्बर से पास होगये है ।

लगता है कि निकट भविष्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठना पायलट के भाग्य में नही लिखा है । मानेसर कांड ने उनके राजनीतिक भविष्य को चौपट कर दिया है ।

अगरचे सचिन को कुर्सी मिलती भी है तो उसका कोई औचित्य नही है । वैसे भी गहलोत इन्हें आसानी से काम करने देंगे, सम्भव नही लगता है । पूरी नौकरशाही गहलोत की मुट्ठी में है । सचिन एक ऐसे चौराहे पर खड़े होगये है जहां मंजिल पर जाने का कोई रास्ता सुझाई नही दे रहा है ।

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