कांग्रेस मुख्यालय दिल्ली से जयपुर शिफ्ट, सचिन समर्थकों को मंत्रिमंडल में स्थान नही

Update: 2021-02-06 13:10 GMT

लगता है कांग्रेस आलाकमान का मुख्यालय दिल्ली से तब्दील होकर जयपुर में शिफ्ट होगया है । तभी तो कांग्रेस के दिग्गज नेता जयपुर चक्कर काट रहे है। कभी केसी वेणुगोपाल तो कभी अजय माकन का आए दिन जयपुर का दौरा होना इस बात को पुख्ता करता है । यहाँ तक कि कोषाध्यक्ष पवन बंसल को भी जयपुर आने के लिए विवश होना पड़ा है ।

एक वक्त था जब कांग्रेसी आए दिन दिल्ली जाकर हाजिरी देते थे । लेकिन अब परिस्थितियां एकदम विपरीत होगई है । कांग्रेसी नेता दिल्ली के बजाय जयपुर चक्कर काट रहे है । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पहले अक्सर दिल्ली जाना पड़ता था । लेकिन आठ माह बाद पिछले महीने वे दिल्ली गए थे । वह भी कांग्रेस की बैठक में शिरकत करने के लिए । अब एक कहावत प्रचलित होगई है कि कांग्रेस आलाकमान का मुख्यालय दिल्ली से जयपुर में स्थानांतरित होगया है ।

बजाय गहलोत को दिल्ली बुलाने के पवन बंसल को जयपुर आना पड़ा । वह भी भीख मांगने के लिए । यह सर्वविदित तथ्य है कि कांग्रेस का खजाना खाली हो चुका है । इसे पैसो की सख्त दरकार है । पवन बहुत उम्मीद लेकर जयपुर आये थे । अशोक गहलोत ने उन्हें निराश भी नहीं किया है । पता चला है कि कांग्रेस का खजाना भरने की गहलोत ने हामी भर ली है ।

उधर अजय माकन संभावित मंत्रियों और पार्टी पदाधिकारियो की सूची लेकर आये थे । इस सूची में सचिन पायलट संमर्थक रमेश मीणा और विश्वेन्द्र सिंह का नाम भी था । लेकिन गहलोत ने इन दोनों के नाम पर मोहर लगाने से इनकार कर दिया । बताया जाता है कि गहलोत को रमेश मीणा, दीपेंद्र सिंह और विश्वेन्द्र सिंह के नाम पर घोर आपत्ति है । वे हेमाराम को मंत्री बनाने के लिए राजी है । जबकि अजय माकन का जोर इन्ही नामों पर था ।

सचिन और गहलोत के बीच चली आ रही रस्साकसी का खामियाजा उन विधायकों को उठाना पड़ रहा है जिन्होंने संकट के वक्त में गहलोत का साथ दिया था । अगर मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल का विस्तार करते है तो जाहिर है कि उन्हें सचिन के कुछ समर्थकों को भी मंत्रिमंडल में जगह देनी पड़ेगी । जबकि गहलोत एकाध को छोड़कर किसी को मंत्री बनाने के पक्ष में नही है ।

सचिन पायलट के हाथ से सत्ता निकल गई तो वे महापंचायत व अन्य कार्यक्रम आयोजित कर अपनी ताकत दिखाने का प्रयास कर रहे है । लेकिन गहलोत पर इसका कोई असर नही पड़ रहा है । इस समय पायलट की तरह उनके समर्थकों में सबसे ज्यादा निराशा है । इसी निराशा के चलते विधायक गजेंद्र सिंह मौत के शिकार होगये । कहने को उनकी मौत कोरोना से हुई । लेकिन हकीकत कुछ और ही है ।

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