Rajsthan Congress : रंधावा नही, उच्चस्तरीय कमेटी निकलेगी संकट का हल, गहलोत और पायलट में सुलह के लिए आएंगे पर्यवेक्षक

राजस्थान के स्थायी समाधान के लिए एक बार फिर से पर्यवेक्षक जयपुर आ सकते है। गुप्त मतदान या रायशुमारी के आधार पर रास्ता खोजने की कोशिश होने के आसार है।

Update: 2022-12-26 12:35 GMT

अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच फिलहाल सुलह की संभावना दिखाई नही दे रही है । कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की राजस्थान यात्रा की कार्यसूची में सुलह कराना शामिल नही है । वे विशुद्ध रूप से संगठन को मजबूत करने की गरज से जयपुर आ रहे है ।

रंधावा से आज टेलीफोन पर हुई बातचीत में स्पस्ट रूप से कहाकि उनका बुनियादी उद्देश्य संगठन को मजबूत और सुदृढ करना है । इसी गरज से वे जयपुर आ रहे है । उन्होंने कहाकि अभी मुकम्मल रूप से संगठन का ढांचा तैयार नही हुआ है । मेरी कोशिश होगी कि संगठन के ढांचे को मजबूती प्रदान की जाए ।

रंधावा का कहना था कि गहलोत और पायलट के बीच सुलह के लिए दिल्ली से एक कमेटी जयपुर आएगी जिसमे वे भी सम्मिलित रहेंगे । कमेटी कब आएगी, इस बारे में उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया । रंधावा ने इस बात पर गहरी नाराजगी व्यक्त की कि गहलोत और पायलट के बीच नाराजगी को लेकर पार्टी आलाकमान से ज्यादा चिंता प्रेस को है ।

लगता है कि पिछले चार साल से गहलोत और पायलट के बीच युद्ध स्थायी तौर पर थमता दिखाई नही दे रहा है । राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से पहले दोनो का भरत मिलाप हुआ था । लेकिन वह केवल दिखावे के अलावा कुछ नही था । राहुल चाहते थे कि उनकी यात्रा के बीच किसी प्रकार का विध्न नही पड़े । इसलिए दोनो में मेल मिलाप आवश्यक था । राहुल की राजस्थान यात्रा समाप्त होगई, लेकिन जंग फिर से जारी है ।

विधायकों की रायशुमारी के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन 25 सितम्बर को जयपुर आए थे । लेकिन दोनों की ऐतिहासिक फजीहत हुई और उन्हें बैरंग लौटना पड़ा था । उस वक्त गहलोत गुट की ओर से तीन शर्ते प्रभारियों के जरिये आलाकमान को भेजी गई थी । पहली शर्त यह थी कि नए सीएम का चयन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव के बाद हो । चुनाव हुए ढाई महीने होगये और नए सीएम का चुनाव नही होना इस बात का प्रमाण है कि यह गहलोत गुट की बहुत बड़ी जीत है ।

नया सीएम बनेगा या नही, यह भी फिलहाल तय नही है । गहलोत गुट की दूसरी शर्त यह थी कि नया सीएम 102 विधायकों में से बनाया जाए । इस शर्त का सीधा मतलब यह है कि सचिन पायलट के अलावा दीगर व्यक्ति को सीएम बनाया जाए । तीसरी शर्त थी कि गहलोत की रजामंदी से नए सीएम का चयन होना चाहिए । जाहिर है कि गहलोत नकारा, निकम्मा और गद्दार व्यक्ति के नाम पर तो किसी हालत में सहमत होंगे नही । यदि मजबूरीवश होना भी पड़ा तो उन्हें रायता बिखेरना बखूबी आता है । अभी तक सारी स्थितियां गहलोत के अनुकूल है ।

कांग्रेस के उच्च स्तरीय सूत्रों से मिली खबरों के मुताबिक गहलोत सीएम की कुर्सी छोड़ने के कतई मूड में नही है । उधर पायलट की जिद है कि वे एक बार सीएम बनकर ही रहेंगे । लेकिन बनेंगे कैसे ? सीएम की पोस्ट वेकेंट है नही । पोस्ट तभी वेकेंट हो सकती है जब गहलोत वीआरएस ले । फिलहाल वे वीआरएस के मूड में है नही । उधर आलाकमान भी गहलोत की मर्जी के खिलाफ कोई अप्रिय कदम उठाने की स्थिति में नही है ।

राजस्थान का संकट हल करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी केसी वेणुगोपाल और सुखजिंदर रंधावा के हाथ मे है । देखना है कि दोनों कैसे इस संकट का हल खोज पाते है या नही । कहीं ऐसा नही हो कि अजय माकन की तरह इन्हें भी असफलता का मुंह देखना पड़े । वैसे रंधावा से कांग्रेसियो को बहुत ज्यादा उम्मीद है । संगठन के रिक्त पद शीघ्र भरे जा सकते है जो पिछले कई साल से खाली पड़े है । ऐसा माना जा रहा है कि राजस्थान के स्थायी समाधान के लिए एक बार फिर से पर्यवेक्षक जयपुर आ सकते है । गुप्त मतदान या रायशुमारी के आधार पर रास्ता खोजने की कोशिश होने के आसार है ।

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