CA के छात्रों का जीवन पीड़ा में डूबा है, जीवन ही नहीं है

Update: 2019-09-26 15:37 GMT

रवीश कुमार 

ICAI की वेबसाइट से पता चलता है कि सिर्फ एक साल में फ़ीस से कमाई 130 करोड़ से बढ़ कर 168 करोड़ हो गई है। दस से बारह लाख छात्र सी ए की पढ़ाई करते हैं। फ़ेल होने का सिस्टम बनाया गया है ताकि बाज़ार में ज़्यादा सीए न हों। अजीब तर्क है ये। मुश्किल पढाई है तो क्या हुआ। और भी पढ़ाई मुश्किल है। उसमें तो सत्तर फ़ीसदी से अधिक बच्चे फ़ेल नहीं होते। यह सब बता रहा है कि भारत के छात्रों को मूर्ख बनाना और उन्हें बर्बाद कर देना कितना आसान है। बारह लाख को एक सिस्टम में लाकर फ़ेल करते रहो और उनसे हिन्दू मुस्लिम कराते रहो। दूसरी परीक्षाओं से मिला कर देखिए। युवाओं की ज़िंदगी में कितनी पीड़ा है। उनका यौवन कुचल दिया गया है। वे किसी लायक नहीं छोड़े गए हैं। उनकी राजनीतिक चेतना शून्य न होती तो यह सब संभव। हीं था। भीड़ की तरह सोचने से आपको सिर्फ बोगस पहचान मिलती है। इंसान की तरह सोचिए। इंसाफ मिलेगा। एक छात्र का मेसेज पोस्ट कर रहा हूँ। देखिए।

" सर,कल आपने प्राइम टाइम में सीए के छात्रों के प्रदर्शन को दिखाया।ये वाकई में बहुत कठिन परीक्षा है।मै भी ca कर रहा था पर मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नही थी कि इसकी तैयारी मैं 7-8 साल तक कर सकूं क्योंकि इतना टाइम तो कम से कम इस कोर्स को कम्पलीट करने में लगता है।इसलिए मैंने cpt परीक्षा जो अब फाउंडेशन कोर्स हो गया है वो तो पास कर ली intermediate का रेजिस्ट्रेशन करवाया,कोचिंग भी की पर 2014 में पेपर नही दिया।उस समय ca के सिलेबस में बहुत changes कर दिए थे जिससे दोबारा छात्रों को तैयारी करनी पड़ी थी।जैसे नया कंपनी लॉ आया था उसी वक़्त फिर gst ने पूरे indirect टैक्स को बदल के रख दिया।इनकम टैक्स में भी हर साल कुछ न कुछ बदलाव होते रहते है।इसी प्रकार से कुछ और बदलाव हुए जिससे इसकी तैयारी करने वाले छात्रों को काफी दिक्कत हुई।दूसरी बात ca की पढ़ाई भी अब गरीब छात्रों के बस की बात नही रही क्योंकि इसकी कोचिंग कराने वाले कोचिंग सेंटर अब per सब्जेक्ट मोटी फीस वसूलने लगे है।एक इंटर्नशिप करने वाले ca के छात्र को 16 से 17 घंटे तक काम करना पड़ता है,8-10 घंटे इंटर्नशिप करनी पड़ती है और बाकी बचा हुआ समय कोचिंग करने और आने जाने में निकल जाता है।इंटर्नशिप में महीने के औसतन 5-6 हज़ार रुपये तक ही मिलते है।एक बात ये भी है कि आप चाहे जितने बड़े टॉपर हो 90 प्रतिशत छात्र पूरे कोर्स के दौरान कम से कम 1 से 2 बार फेल ज़रूर होते है।कई कई छात्र तो पूरे कोर्स के दौरान 8-10 या उससे अधिक बार भी फेल होते है और 10-10 साल तक लोगो को लग जाते है इस जटिल परीक्षा को पास करने में।इन सब के बीच ये छात्र अपने साथी छात्रों जो किसी और प्रोफेशन में है उनसे पिछड़ते जाते है और हमारा समाज उन्हें नकारा समझ लेता है।सोचिये उस छात्र पर क्या बीतती होगी और उसकी मानसिक स्थिति क्या होगी जो कॉलेज से यूनिवर्सिटी तक टॉपर रहा है और ca की परीक्षा में 2-3 बार तक फेल हो जाता है।पिछले कुछ वर्षों के परिणाम का आकलन करें तो आपको पता चलेगा कि रिजल्ट की क्या स्थिति होती है।फाउंडेशन में लगभग 25% छात्र ही पास हो पाते है।intermediate में औसतन 20-25% और फाइनल में तो मात्र 12-18% ही छात्र पास हो पाते है।icai को इस परीक्षा को पारदर्शी बनाने के लिए अब कदम उठाने चाहिये।"

एक छात्र ने बताया कि वह सुबह छह से दस क्लास करता है। उसके बाद दस बजे से लेकर रात के दस बजे तक काम करता है और फिर आकर पढ़ाई करता है। भयानक शोषण है। इतना काम करने वाला कैसे फ़ेल हो सकता है? बाजार में दस से पंद्रह हजार पर काम करने के लिए मजबूर किए जा रहे हैं। दस दस साल में पास नहीं हो पाते। अब ऐसे जवान व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी पर यक़ीन नहीं करेंगे तो क्या करेंगे। उनके पास वक्त ही कहाँ है चीज़ों को गहराई से समझने का। नेता ने समझ लिया है इसलिए सबको मूर्खता की आग में झोंक दिया है। सीए की पढ़ाई फ़ेल कराकर कमाने वाली इंडस्ट्री है। मेडिकल भी मुश्किल पढ़ाई है। पाँच साल में 51 इम्तिहान देने होते हैं। आनंद राय कहते हैं कि बीस प्रतिशत ही फ़ेल होते होंगे। सीए के साथ जानबूझ कर धोखा होता है और वे नियति या एक दिन ठीक हो जाएगा के चक्र में शोषित होते चले जा रहे हैं।

सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। भारत में सीए के जितने काम हैं उसका 90 प्रतिशत बहुराष्ट्रीय कंपनियों को मिलता है। राष्ट्रवाद के नाम पर हिन्दी प्रदेशों के नौजवानों को मूर्ख बनाया जा रहा है। अब भी वक्त है। युवाओं को ख़ुद के लिए और दूसरों के लिए जागना होगा।

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