हैदराबाद गैंगरेप में आरोपी की पत्नी ने सरकार से कर दी बड़ी मांग, पति तो मर गए...?

Update: 2019-12-14 12:10 GMT

हैदराबाद।  तेलंगाना स्थित हैदराबाद में वेटनरी डॉक्टर के साथ गैंगरेप और फिर जला कर मारने के मामले में चारों आरोपियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, पुलिस जांच के लिए इन आरोपियों को मौका-ए-वारदात पर लेकर गई थी। चारों ने वहां से भागने की कोशिश की, जिस पर पुलिस ने उन्हें वहीं ढेर कर दिया। 

आरोपियों में मारे गए एक की पत्नी ने कहा है कि उसे एक सरकारी नौकरी दी जाए. इसके साथ ही तीन अन्य परिवारों ने कहा है कि उन्हें अब तक इस आशय की जानकारी नहीं दी गई है कि उन्हें शव कब सौंपे जाएंगे. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार चिन्नाकेशवुलु की गर्भवती पत्नी रेणुका ने कहा कि 'मैं अब अपने पति को नहीं मांग सकती, अब वह मारे जा चुके हैं. अगर सरकार मुझे मेरे गांव दे सकती है तो दे ताकि मैं अपनी जरूरतें पूरी कर सकूं.'

रेणुका के सास ससुर का कहना है कि वह अपने इकलौते बेटे को खो चुके हैं. अब सरकार को चाहिए कि वह उन्हें डबल बेडरूम और 10 लाख रुपए का मुआवजा दे. हैदराबादा एनकाउंटर में मारे गए अन्य तीन आरोपियों के परिजनों का कहना है कि अब तक शव सौंपने के मामले पर कोई बात नहीं हुई. वह इस बात पर नाराज हैं. बता दें गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक वह आदेश नहीं देती.

शव सुरक्षित रखने के सुप्रीम कोर्ट ने दिये थे आदेश

बता दें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तेलंगाना में एक पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक बलात्कार एवं उसकी हत्या के संबंध में मुठभेड़ में मारे गए आरोपियों के शव सुरक्षित रखने के प्रदेश के हाईकोर्ट का आदेश शीर्ष अदालत के अगले फैसले तक बरकरार रहेगा. शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आयेाग की जांच के दौरान कोई अन्य अदालत और प्राधिकारी मामले में जांच नहीं करेगा. मुठभेड़ मामले की जांच के लिए शीर्ष अदालत ने तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया है जिसकी अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस वी एस सिरपुरकर कर रहे हैं।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस एस ए बोबड़े की अगुवाई वाली पीठ ने गुरूवार को दिये अपने फैसले में कहा, 'चार आरोपियों के शवों को संरक्षित रखने के मामले में हाईकोर्ट का आदेश मामले में इस अदालत के अगले फैसले तक जारी रहेगा.' तेलंगाना हाईकोर्ट ने नौ दिसंबर को अधिकारियों को 13 दिसंबर तक चारों शवों को संरक्षित करने का आदेश दिया था.

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