आज़मगढ़ में दलितों पर 15 दिन पहले हुए हमले के हमलावरों की नहीं हुई गिरफ्तारी

फिर भी इन कानून के कर्मचारियों को कुछ नहीं पता चलता है. यह साफ-साफ दर्शाता है कि हमलावरों के साथ-साथ थाने की पुलिस भी इस मामले में हमलावरों को संरक्षण दे रही है.

Update: 2020-09-07 05:34 GMT

आज़मगढ़ के रौनापर थाने के ठीक बगल में पिछले 15 दिन पहले सवर्णों ने किया दलित समुदाय पर हमला जिसकी सूचना फ़ोन द्वारा मिलने पर रिहाई मंच ने रौनापार गांव का दौरा किया. पीड़ित परिवार से मुलाकात की. प्रतिनिधि मंडल में रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, उमेश कुमार, अवधेश यादव और महेश कुमार शामिल रहे.

प्रतिनिधि मंडल को पीड़ित परिवार के मुखिया सुरेश ने बताया कि उनका बेटा रोहन रौनपार के बिलरियागंज रोड पर स्थित सुधीक्षा अस्पताल पर सोने के लिये जा रहा था तभी पिंटू सिंह के लड़के उसे रास्ते में रोके और पूछे यहां क्यों घूम रहा है. बताने पर की सोने जा रहा हूँ तो उनलोगों ने कहा कि वापस जा और कहते हुए हाथ मोड़कर मारने लगे और कहने लगे कि बुला अपने बाप को कहते हुए घर आ गए और सुरेश पर हॉकी एवं डंडे से हमला कर दिया. बीच बचाव करने गई उनकी बीवी आशा देवी और माँ रामवती को भी मारने लगे जिसमे उनकी माँ जो कि बुजुर्ग महिला है को गंभीर चोटें आई साथ ही साथ आशादेवी और सुरेश भी घायल हो गए.

घटना रौनापार थाना के ठीक बगल की है. जिस रास्ते पर रोहन को सवर्णों द्वारा पीटा जाता है वह थाने के गेट के ठीक सामने है, फिर भी इन कानून के कर्मचारियों को कुछ नहीं पता चलता है. यह साफ-साफ दर्शाता है कि हमलावरों के साथ-साथ थाने की पुलिस भी इस मामले में हमलावरों को संरक्षण दे रही है. अगर ऐसा नहीं है तो जल्द से जल्द आरोपियों को गिरफ्तार कर पीड़ित परिवार को न्याय दे.

वही गांव वालों ने बताया कि घटना में शिवम सिंह पुत्र पिंटू सिंह, शुभम सिंह पुत्र पिंटू सिंह, वसंत, प्रशांत, बलजीत पुत्र उदई सिंह, बल्लू, प्रवेश सिंह, विपिन और जनार्दन सिंह शामिल थे जैसे ही गांव वाले आए सभी भाग खड़े हुए. रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने परिवार के सभी सदस्यों को कहा कि वे परिवार को न्याय दिलाने के साथ-साथ हर संभव मदद के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे.

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