यूपी के आज़मगढ़ में बुखार से तड़पती कोरोना संदिग्ध महिला को नहीं मिला इलाज, अस्पताल के बाहर तोड़ा दम

बस दोपहर में आजमगढ़ बस स्टेशन पर पहुंची, जहां महिला बुखार से तप रही थी.

Update: 2020-05-25 02:28 GMT

आजमगढ़. मंडलीय अस्पताल में रविवार को दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आयी. यहां मुम्बई से पहुंची एक कोरोना संदिग्ध महिला (Corona Suspect Woman) अस्पताल के गेट के बाहर बस में बुखार से कराहती रही, लेकिन डॉक्टरों ने उसका इलाज नहीं किया. महिला का बेटा डॉक्टरों से मिन्नतें करता रहा, लेकिन कोई भी महिला के इलाज के लिए नहीं पहुंचा. आखिर में महिला ने दम तोड़ दिया.

महिला की मौत के बाद मंडलीय चिकित्सालय के डॉक्टरों ने महिला का सैंपल लेकर उसके बेटे को क्वारंटाइन कर दिया है. इस मामले में कार्रवाई करने के बजाय मामले की लिपापोती शुरू कर दी गई है और अधिकारी कुछ भी बोलने से कन्नी काट रहे हैं.

गौरतलब है कि मऊ जिले के मधुबन थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली महिला मुम्बई में रहती थी. लॉकडाउन की वजह से वह मुम्बई से अपने बेटे के साथ ट्रेन से प्रयागराज पहुंची. जिसके बाद 30 लोगों को एक रोडवेज बस में बैठाकर आजमगढ़ के लिए भेजा गया. बस दोपहर में आजमगढ़ बस स्टेशन पर पहुंची, जहां महिला बुखार से तप रही थी.

सभी को बस से बाहर निकाला गया. स्वास्थ्य टीम ने एम्बुलेंस को मौके पर बुलाया, लेकिन पीपीई कीट न होने से एम्बुलेंस चालक ने महिला को बस से उतारने से मना कर दिया. जिसके बाद बस से ही महिला और उसके बेटे को जिला चिकित्सालय भेजा गया. बस जिला चिकित्सालय पहुंची तो डॉक्टर बस के पास जाने को तैयार नहीं थे. जिसके बाद बस करीब तीन घंटे तक अस्पताल के क्वारंटाइन सेंटर के सामने खड़ी रही और महिला का बेटा लोगों से मदद की भीख मांगता रहा, लेकिन धरती के भगवान तब तक उस महिला के पास नहीं पहुंचे जब तक की उसने दम नहीं तोड़ दिया.

महिला की मौत के बाद डॉक्टर पीपीई किट पहनकर बस में पहुंचे और उसका जांच सैम्पल लेकर उसके बेटे को अस्पताल में क्वारंटाइन कर दिया. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि डॉक्टरों की लापरवाही और संवेदनहीनता ने एक महिला की जान ले ली. दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाय जिम्मदार उन्हें बचाने में जुटे हैं और कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. 

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