रामलला की प्राण प्रतिष्ठा! अयोध्या में एनडीआरएफ टीम की तैनाती..

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा! अयोध्या में एनडीआरएफ टीम की तैनाती..

Update: 2024-01-20 19:10 GMT

अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर सुरक्षा से संबंधित सभी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। इसी क्रम में मानव एवं प्राकृतिक जनित आपदा से निपटने के लिए देश की शान राष्ट्रीय आपदा मोचन बल यानी एनडीआरएफ ने अयोध्या में अपना अस्थाई कैंप बना लिया है। यह स्थाई कैंप वाराणसी में स्थित एनडीआरएफ के 11वीं बटालियन ने बनाया है। जिसमें लखनऊ और गोरखपुर कि भी टीम को शामिल किया गया है। इस एनडीआरफ कैंप का नेतृत्व एनडीआरफ वाराणसी के डायरेक्टर डीआईजी मनोज शर्मा कर रहे हैं।


एनडीआरएफ की टीम सरयू नदी, राम मंदिर अयोध्या, हनुमानगढ़ी अयोध्या के साथ-साथ अयोध्या के सभी प्रमुख स्थानों पर भी तैनात रहेगी। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को भव्य बनाने की दृष्टि के अंतर्गत एनडीआरएफ ने अपनी तीन प्रमुख टीमों (एक टीम केमिकल बायोलॉजिकल रेडियोलॉजिकल एवं न्यूक्लियर आपदा (सीबीआरएन) के लिए है, वहीं दूसरी टीम कॉलेप्स स्ट्रक्चर सर्च एंड रेस्क्यू (सीएसएसआर) से संबंधित आपदाओं से निपटने के लिए सभी प्रकार के अत्यधिक राहत बचाव उपकरणों के साथ लैस है तो वही तीसरी टीम को सरयू नदी में विभिन्न घाटों पर रेस्क्यू मोटर बोट, गोताखोर, पैरामेडिक, लाइफ जैकेट इत्यादि से लैस है) की तैनाती की है।


अयोध्या में बन रहे भगवान राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में देश-विदेश से कई मेहमान अयोध्या में आने हैं। सुरक्षा के दृष्टि अंतर्गत एनडीआरएफ 11वीं बटालियन के डीआईजी मनोज शर्मा ने बताया कि केमिकल बायोलॉजिकल रेडियोलॉजिकल न्यूक्लियर (सीबीआरएन) से संबंधित आपदा से निपटने के लिए हमने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड व डीआरडीओ संस्थान के द्वारा विशेष रूप से निर्मित Hazmat हजमात वाहन को भी तैनात किया हैं। यह वाहन केमिकल बायोलॉजिकल रेडियोलॉजिकल न्यूक्लियर (सीबीआरएन) के किसी भी प्रकार के हमलों को रोकने में सक्षम है। इसमें लगे अत्यधिक सेंसर सीबीआरएन पदार्थ का दूर से पता लगा लेते हैं। इसके साथ ही साथ इस गाड़ी में तैनात हमारे रेस्क्यूकर्स किसी भी प्रकार के केमिकल बायोलॉजिकल रेडियोलॉजिकल न्यूक्लियर हमले की साजिश को नाकाम कर सकते हैं। इस गाड़ी में एक बेहतरीन सॉफ्टवेयर भी इंस्टॉल है जिसकी मदद से हमें मौसम और किसी भी खतरे की सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी की मदद से तत्काल जानकारी मिल जाती

है। 

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