गाजियाबाद पैरेंट्स एसोसिएशन के सदस्यों ने दिया जिलाधिकारी के नाम ज्ञापन

अब तक सिर्फ आश्वासन मिला है, जबकि कार्रवाई का है इंतजार, अन्यथा सड़क पर उतर कर करेंगे आंदोलन

Update: 2019-12-19 13:18 GMT

कमलेश पांडेय/वरिष्ठ संवाददाता

गाजियाबाद। जनपद में यदि निजी स्कूलों की मनमानी चल रही है तो इसके लिए प्रशासनिक महकमा भी कुछ न कुछ जिम्मेदार अवश्य है। ऐसा इसलिए कि ग़ाज़ियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा कतिपय मुद्दों पर बार बार आगाह किये जाने के बावजूद जांच, निर्णय और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ समय जाया किया जाता है। इससे वहां पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावक गण किन किन मनःस्थितियों से गुजरते होंगे, यह बात सोचने की फुर्सत पूंजीवाद परस्त हमारे अधिकारियों को कहां है। उन्हें हर ओर भले ही हरियाली दिख रही हो, लेकिन अभिभावकों व उनके संघ की परेशानियों को समझने वाला यहां कोई नहीं है। यह विचार सार है उस मुहिम का जिसके तहत बुद्धवार को गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के लोग डीपीआरओ ऑफिस के समीप अवस्थित मीडिया सेंटर पर जमा हुए थे। यही से वे लोग अपने सचिव अनिल सिंह की अगुवाई में जिलाधिकारी डॉ अजय शंकर पांडेय से मुलाकात की प्रत्याशा में उनके प्रतिनिधि को निम्न बिन्दुओं पर अतिशीघ्र करवाई करने का  एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा। इसमें कहा गया कि पिछले काफी समय से लंबित बिन्दुओं पर अगर कार्यवाई नहीं होती है तो अभिभावकों को सड़क पर उतर कर आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा जिसकी सारी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार और जिलाप्रशासन की होगी।

जीपीए ने मांग की है कि पिछले कई महीनों से लंबित पड़ी डीएफआरसी की मीटिंग एक हफ्ते के अंदर कराई जाए। वहीं, सरकार और शिक्षा अधिकारियों की सुस्ती के कारण फीस अधिनयम बने डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी 'फर्स्ट अपील अथॉरिटी' के चेयरमैन का चयन लंबित है। इसलिए सरकार के माध्य्म से फर्स्ट अपील अथॉरिटी को सक्रिय कराया जाए, जिससे कि लंबित पड़ी शिकायतों का निस्तारण हो सके और अभिभावकों को फीस-वृद्धि से मुक्ति मिल सके। ज्ञापन में अभिभावकों ने दलील दी है कि पूरा भारत आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है, इसका संज्ञान लेते हुए तुरंत नए शिक्षा सत्र में जिले के सभी स्कूलों में फीस-वृद्धि पर रोक लगाई जाए, क्योंकि स्कूलों के पास करोड़ों के रूपये रिज़र्व में हैं।     

जीपीए का आरोप है कि अवैध वार्षिक शुल्क, जिसको फीस में जोड़ कर कंपोसिट फीस बना दिया गया है जबकि राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली एनओसी में इस शुल्क को ना लेने के लिए साफ साफ कहा गया है। बताया गया है कि इसी वर्ष गत 7 मई को सेंट टेरेसा स्कूल और प्रसिडियम स्कूल इंदिरापुरम पर डीएफआरसी द्वारा दिये गए निर्णय में राज्य सरकार की एनओसी का हवाला देते हुये इस शुल्क को पृथक कर निर्णय दिए गए हैं, जबकि बाकी निर्णयों में वार्षिक शुल्क को जोड़ कर कंपोसिट फीस बना दिया गया है। इसलिए सवाल पूछा गया है कि अभिभावकों के साथ ये दोहरी नीति क्यों अपनाई गईं। इसी के साथ जीपीए ने जिले के सभी प्राइवेट स्कूलों द्वारा लिये जा रहे अवैध वार्षिक शुल्क पर तत्काल रोक लगाने और पूर्व के वर्षों में अवैध तरीके से लुटे गए वार्षिक शुल्क की वापसी की मांग की है।

जीपीए ने जिले के सभी स्कूलों में नए शिक्षा सत्र प्रारम्भ होने से पहले कक्षा एक से लेकर कक्षा 12 तक एनसीईआरटी का पाट्यक्रम लगाने और स्कूल परिसर में किताबों और कापी की बिक्री पर रोक के लिए शिक्षाधिकारियों द्वारा तत्काल सर्कुलर जारी किए जाने की मांग की है, ताकि उसे सभी स्कूलों पर सख्ती से लागू कराया जा सके। इसके अलावा, बच्चों के बैगों के वजन कम करने के एमएचआरडी के आदेश को जिले के सभी स्कूलों में लागू कराया जाए और उसका उल्लंघन करने पर स्कूलों पर सख्त कार्यवाई की जाए।   

जीपीए का साफ कहना है कि सेंटमेरी स्कूल शास्त्रीनगर द्वारा एक ही स्कूल परिसर में दो विद्यालयों को चलाया जा रहा है, जिससे सम्बन्धित ज्ञापन गत 6 नवम्बर को दिया जा चुका है, उसपर कार्रवाई की जाए। इसके अलावा, सभी स्कूलों की फायर सेफ्टी एनओसी चेक करने के गत 16 अक्टूबर के ज्ञापन पर भी जिलाधिकारी द्वारा स्वयं कार्यवाई के लिए मार्क करने के बाद भी आज तक संबंधित अधिकारी द्वारा कोई कार्यवाई नहीं की गई है। लिहाजा, इसका संज्ञान लेते हुए तुरंत कार्यवाई का आदेश दिया जाए। अभिभावकों की पीड़ा को अभिव्यक्त करने वाले उपर्युक्त विस्तृत बिन्दुओं पर दिए गये ज्ञापन के मौके पर गाजियाबाद पैरेंट्स एसोसिएशन के सचिव अनिल सिंह, कौशलेंद्र सिंह, कौशल ठाकुर, संजय पंडित, मनीष शर्मा, प्रियंका अधिकारी, रत्नेश सिंह, भारती शर्मा, आशीष श्रीवास्तव आदि लोग शामिल हुए।

Tags:    

Similar News