इस मौत का जिम्मेदार आखिर कौन है?

Update: 2019-06-02 14:32 GMT

भेड़ बकरियों की तरह लोकल डब्बो में ठुसे हुए 'कैटल क्लास' में सफर करते लोग जब बुलेट ट्रेन के सपने दिखाने वालो को वोट देते है तब वह यह भूल जाते है कि उनकी बुनियादी जरूरतें क्या है.

बांदा के रहने वाले रामप्रकाश अहिरवार दिल्ली में मजदूरी करते हैं. 31 मई को यूपी संपर्क क्रांति एक्सप्रेस से वह दिल्ली वापस परिवार समेत आ रहे थे उन्हें दिल्ली के हज़रत निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर उतरना था. ट्रेन में भीड़ बहुत थी. धक्का-मुक्की हो रही थी फिर भी वह किसी तरह ट्रेन में चढ़ गए. जनरल कोच में चढ़ने के बाद बड़ी बेटी सीता जो कि 18 साल की थी. उसकी हालत खराब होने लगी. उसने कई बार अपने पिता से कहा कि उतर जाते हैं. गर्मी बहुत है. दम घुट रहा है. लेकिन भीड़ इतनी थी कि वह किसी स्टेशन पर उतर नहीं पाए. डिब्बे से भीड़ कम होने की बजाय और बढ़ती जा रही थी.

परिवार अगले दो स्टेशन पर नहीं उतर पाया. इधर सीता की हालत लगातार और खराब होती जा रही थी. वह बेहोश हो गई. ट्रेन झांसी पहुंची. पिता ने बेटी को किसी तरह ट्रेन से नीचे उतारा. रेलकर्मियों की मदद से उसे रेलवे हॉस्पिटल भी ले जाया गया. लेकिन सीता की जान बच नही सकी .....डॉक्टरों ने उसे डेड घोषित कर दिया........

इस मौत का जिम्मेदार आखिर कौन है

मेरे देश की संसद मौन है

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