कैसे बुझेगी आग, ठण्डा है अग्निशमन विभाग!

मजाक बनकर रह गया अग्निशमन सेवा दिवस, अग्नि सचेतक योजना के तहत प्रशिक्षित नही किए गए नवयुवक.

Update: 2019-04-26 12:48 GMT
फ़ाइल फोटो

सुरेश केशरवानी 

कौशाम्बी दिनों दिन बढ़ते तापमान की चढ़ती जवानी ने आग में घी का काम करना शुरू कर दिया है। ग्रामीण इलाके के खेत खलिहान आग की लपटों के निशाने पर हैं, जरा सी चिंगारी उठी नहीं कि आग का विकराल रूप देखने को मिल जाता है।और आये दिन किसान की फसलें जलकर नष्ट हो रही है

पानी की कमी से जूझते कौशाम्बी जनपद में वैसे भी गर्मी का मौसम कई दृष्टिकोणों से मुसीबत का पैगाम लेकर आता है, जिनमें आग लगने की घटनाएं प्रमुख हैं। दूसरी तरफ इस आग पर काबू पाने के लिए जि़म्मेदार अग्निशमन विभाग खुद ठण्डा है,कई वर्षों पूर्ब अग्नि सचेतक योजना का शुभारंभ किया गया योजना के तहत गांव गांव नवयुवकों को आग बुझाने की जानकारी से प्रशिक्षित करना था कागजो में भले ही नवयुवकों को प्रशिक्षण दे कर कोरम पूरा कर योजना की रकम डकारने में बिभाग के जिम्मेदार सफल हुए हो लेकिन अग्नि सचेतक योजना के तहत ग्रामीण नवयुवकों को प्रशिक्षण नही मिल सका प्रशिक्षित नवयुवकों को होमगार्ड में भर्ती कराए जाने का भी बिभाग ने नियम बना रखा है लेकिन अग्नि सचेतक योजना के क्रियाशील ना होने से नवयुवक जहाँ प्रशिक्षण बिहीन रह गए वही वह रोजगार विहीन भी है आखिर इसका जिम्मेदार कौन है

विभाग की दमकल गाडिय़ां पानी मांग रही हैं तो वहीं कर्मचारियों की कमी ने काढ़ में खोज का काम कर दिया है। मुख्यालय में ही आग लगने की किसी भी घटना पर फायर ब्रिगेड को पहुंचने में घण्टों लग जाते हैं तो सुदूर ग्रामीण इलाकों की हालत का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रतिवर्ष आग के कहर से करोड़ो के जानमाल का नुकसान हो जाता है। आग लगने की घटनाओं की दृष्टि से पूरा कौशाम्बी संवेदनशील माना जाता है क्योंकि अधिकांश इलाके ग्रामीण क्षेत्रों में आते हैं और खेत खलिहान बाग बगीचों के बीच यह जनपद स्थित हैं। खेत खलिहानों में तो प्रतिवर्ष अज्ञात कारणों के चलते भीषण आग लगती रहती है जिससे अमूल्य कृषि सम्पदा नष्ट हो जाती है लेकिन आज तक इस विषय पर विभागीय अधिकारियों द्वारा कभी भी गहराई से मन्थन चिंतन नहीं किया गया। दूसरी तरफ आबादी बाहुल्य इलाकों में तो आग का क्रोध प्रतिवर्ष इस तरह बरपता है कि न जाने कितने गरीबों की गाढ़ी कमाई जलकर खाक हो जाती है। बेजुबान भी हर साल आग की लपटों का शिकार हो जाते हैं। कुछ घटनाओं में तो कई जिन्दगी को आग ने लील लिया था हालांकि अन्य घटनाओं में लोग खुद अपनी जान बचाने में खुशकिस्मत साबित होते आए हैं। आग पर काबू पाने के लिए फायरब्रिगेड बुलाना पीडि़तों के साथ बेईमानी साबित होती है।


दूर दराज के इलाकों में दो से तीन घण्टे में जब तक दमकल गाड़ी पहुंचती है तब तक सब कुछ नष्ट हो चुका होता है। वाहनों की स्थिति खटारा श्रेणी में होने से यह समय लगना लाजिमी है। बिभाग में छोटे बड़े कुल पांच वाहन मौजूद हैं लपटों को बुझाने के लिए व्यवस्था तो वैसे भी भगवान भरोसे है उसपर से कर्मचारियों की कमी से भी अग्निशमन विभाग संघर्ष कर रहा है। विभाग में अधिकारियों कर्मचारियों के लगभग छह दर्जन से अधिक पद सृजित हैं जिसके सापेक्ष कर्मचारियों की संख्या आधी से कम है। जानकारी के मुताबिक सेकेण्ड अफसर के तीन पदों में से एक, लीडिंग फायरमैन के सात पदों में से छह और चालक के आठ पदों में से चार पद और फायरमैन के 53 पदों के सापेक्ष सिर्फ 30 फायरमैन ही मौजूद हैं। यदि एक साथ कई स्थानों पर आग लगने की घटना हो जाए तो उस पर कैसे काबू पाया जाएगा यह इस समीकरण को समझकर समझा जा सकता है। इस पूरी व्यवस्था अव्यवस्था पर मुख्य अग्निशमनअधिकारी से बात नही हो सकी इस बारे में द्वितीय अग्निशमन अधिकारी राधा मोहन मिश्रा ने बताया कि जनपद के बिभिन्न थाना क्षेत्र में फायर यूनिट स्थापित करने के लिए जमीन स्वीकृत हो चुकी है और इस बावत फायर सर्विस मुख्यालय को जानकारी भी भेजी गई है, लेकिन ऊपर से कुछ कमियों के चलते काम शुरू नहीं हो पा रहा है। यदि उदाहीन और चायल संवेदनशील क्षेत्रों में यूनिट स्थापित हो जाए तो घटनाओं में काबू पाने में काफी सहूलियत हो जाएगी 

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