नोएडा में कैब चालक की हत्या सांप्रदायिक नफरत में की गई, लूट नहीं है

Update: 2020-09-19 03:43 GMT

पंकज चतुर्वेदी 

इस रविवार के घटना ने मुझे फेसबुक पर लिखने के लिए मजबूर कर दिया – एक बीस साल का बेटा, फोन पर अपने पिता की मौत के पहले के अंतिम क्षण सुन रहा है लेकिन बेबस इस भयानक मंजर को झेल रहा है . सोमवार व् मंगलवार को शायद आप लोगों के सामने से एक खबर गुजरी हो जिसमें ग्रेटर नोयडा में दादरी के कोट गाँव के करीब एक टेक्सी चालक की ह्त्या व् लूट की बात कही गयी थी , यदि उस मृतक आफताब के बेटे साबिर के मोबाईल पर दर्ज चालीस मिनिट की काल रिकार्डिंग को सुन लें तो स्पष्ट हो जाएगा कि यह महज ह्त्या का मामला नहीं है – यह सांप्रदायिक नफरत में ह्त्या का आतंकी वाकया है –

दिल्ली के मयूर विहार फेज वन के करीब त्रिलोक पूरी में रहने वाले टेक्सी ड्रायवर आफताब आलम इसी रविवार को अपने पुराने ग्राहक को गुरुग्राम से बुलंद शहर के लिए छोड़ने कोई तीन बजे दिन में निकले , शाम सात बजे वे बुलंद शहर से चले तो भूड चौराहे पर उन्हें कोई सवारी मिल गयी , आफताब जी ने साढ़े सात बजे अपने बेटे साबिर को फोन कर फ़ास्ट टेग चार्ज करवाने को कहा . थोड़ी देर बाद फिर उनका काल आ गया – शायद आफताब को एहसास हो गया था कि उनके साथ बैठी सवारी गड़बड़ है – उन्होंने अपना फोन चालू कर जेब में रख लिया – इधर बेटे को भी जब कुछ अंदेशा हुआ तो उसने इस काल को रेकार्डिंग में डाल दिया

सारी बातचीत में पहले सवारी उनसे शराब पीने को कहती है – जब वे इसके लिए मना करते हैं तो उनका नाम पूछती है , उसके बाद सांप्रदायिक गालियां गयीं . काल से स्पष्ट होता है कि उन्हें जबरिया जय श्री राम बुलवाया गया और उसके बाद उनके सर पर शराब की बोतल से प्रहार हुआ, थोड़ी देर बाद यह आवाज़ आई कि – इसकी सांस रुक गयी है –

यह सब सुन कर साबिर अपने करीबी त्रिलोकपुरी थाने गये तो वहां एक उप निरीक्षक संजय ने तत्काल सहयोग करते हुए – उनके पिता की आखिरी लोकेशन बादलपुर गाँव के पास ट्रेस कर बता दी – जब ये लोग रात में वहां गये तो पिता की कार खड़ी देखी और वहां दो पुलिस वाले भी देखी . जब इन्होने अपने पिता के बारे में पूछा तो दो घंटे इधर उधर तलाशते रहे कि उन्हें अस्पताल में भेजा है और वे ठीक हैं .

पुलिस ने महज लूट और ह्त्या का मामला दर्ज कर लिया – इस मामले में कई सवाल हैं –

1. पुलिस को कैसे पता चला कि लूट 35०० रूपये की है जबकि मृतक की जेब में कितने पैसे थे, यह कोई नहीं जानता

2. जिस अस्पताल में पुलिस भारती अक्र्वाने की बात कर रही है , उस अस्पताल में आफताब के भारती अक्र्वाने का कोई रिकार्ड ही नहीं हैं

3. पुलिस अब बगैर जानकारी के केस को बुलंदशहर ट्रांसफर कर रही है , चूँकि मृतक के परिवार वाले अर्थात मुद्दई दिल्ली में रहते हैं – जाहिर है कि इतनी दूर केस करने से उन्हें दिक्कत होगी

4. पुलिस के पास रास्ते के कई टोल नाकों और बुलंद शहर के सी सी टी वी फुटेज है और उनमें 3 हत्यारे स्पष्ट दिख रहे हैं – फिर उनका चेहरा सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा

5. जब बातचीत में साफ़ इस्लामोफोबिया , धार्मिक गाली , जय श्री राम के नारों की बात है तो पुलिस ने यह केस में दर्ज क्यों नहीं किया

आब बात आफताब जी के परिवार की – वे १९९६ से दिल्ली में हिन्दू बाहुल्य मोहल्ले में रह कर टेक्सी चला रहे हैं , कल मेरी बेटी तमन्ना उनके घर गयी थी और उसने देखा कि सारा मुहाल्ला उनके परिवार के साथ है .

बेटा साबिर दिल्ली विश्विद्यालय से बी काम कर रहा है और दोनों छोटे भाई शहीद और साजिद ई डब्लू एस केटेगरी में इलाके के प्रतिष्ठित एह्ल्कोंन पब्लिक में पढ़ रहे हाँ और कक्षा दसवीं में ९२ फीसदी अंक लाये . आफताब जी के माता पिता भी हैं , उनकी पत्नी ने अपना घर दिखाते हुए कहा कि "भले ही उनके यहा खाने के बर्तन खाली हों लेकिन किताबो की अलमारी भरी रहती है . इनके पिताजी बच्चों को अधिक से अधिक पढ़ाना चाहते थे . "

चूँकि सब कुछ फोन काल में दर्ज है सो इस पर कोई शक नहीं की यह एक नफरती आतंकी कार्यवाही है . आज इस परिवार के बच्चों की पढाई , परिवार के जीवकोपार्जन का संकट सामने है क्योंकि आफताब जी उनके यहा एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे .

हमारी मांग है कि हत्यारों को बेनकाब करने और उनकी साम्प्रदायिक मंशा का खुलासा हो, उन पर आतंकी कार्यवाही अर्थात यु ए पी ए का केस दर्ज हो .

परिवार के बेहतर जीवकोपार्जन, बच्चों की पढाई के लिए दिल्ली व् उत्तर प्रदेश सरकार मदद करे .

मैं अपने समर्थ साथियों , परिचित संस्थाओं से भी उम्मीद करता हूँ कि आफताब जी सपनो को साकार करने के लिए उनके बच्चों की पढाई जारी रखने में मदद करें .

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