नोएडा प्राधिकरण में तैनात रहे डीएसपी पर आय से अधिक संपत्ति पाये जाने पर मामला दर्ज

Update: 2019-05-20 07:37 GMT

धीरेन्द्र अवाना

नोएडा। नोएडा प्राधिकरण एक ऐसा कार्यालय जहा कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक भष्टाचार में डूबे रहते है।ये हम नही कह रहे बल्कि सरकारी जॉच एजेंसी बोल रही है।नोएडा प्राधिकरण में तैनात रहे चौकीदार नितिन राठी और एक अन्य कर्मचारी एमएमआर महीपाल की संपत्ति का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण से ब्योरा मांगा था।


बात करे नितिन राठी की तो उसको नोएडा प्राधिकरण में मृतक आश्रित के रूप में चौकीदार की नौकरी मिली थी। उस पर आरोप है कि उसने दर्जनों लोगों को फर्जी आवंटन पत्र देकर लाखों रुपये की ठगी की है।अब अधिकारी की बात करे तो सीएमई यादव सिंह को कौन नही जानता।उनपर आरोप था कि उन्होनें अपने विभाग से करोडों रूपयों की कमाई की। अब दूसरे अधिकारी की बात करे तो सपा सरकार के दौरान प्राधिकरण में तैनात रहे डीएसपी हर्षवर्धन भदौरिया के खिलाफ थाना सेक्टर-49 में आय के अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया है।


भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत पुलिस महानिरीक्षक के निर्देश पर एंटी करप्शन टीम के इंस्पेक्टर अरविंद कुमार ने तहरीर दी जिसपर पुलिस ने मामला दर्ज किया है।इसमें आय से 1178 फीसदी अधिक संपत्ति जुटाने का आरोप लगाया गया है।आपके बता दे कि भदौरिया मूलरूप से इटावा के रहने वाले है।इन्होंने 38 साल पहले यूपी पुलिस में बतौर सब इंस्पेक्टर ज्वाइनिंग की थी।उसके बाद साल 2003 में नोएडा प्राधिकरण में तैनाती प्राप्त कर ली।सूत्रों की माने तो सपा सरकार के दिग्गज नेता के संरक्षण में भदौरिया की 2003 से संपत्ति में अचानक बढ़ोतरी होती चली गई।आय से अधिक संपत्ति जुटाने के मामले की शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो को मिली जिसके बाद जांच शुरू कर दी गई।


1 जनवरी 2003 से 29 मई 2017 तक भदौरिया का वेतन भर्ती एरियर मिलाकर कुल आय 8,32,324 रुपये थी, जबकि उनकी संपत्ति 9,80,53,328 रुपये अधिक पाई गई,जो उनकी आय से 1178 फीसदी अधिक निकली। उनके खिलाफ कई बेनामी संपत्ति होने की भी आशंका ब्यूरो ने व्यक्त की है।जांच में किये गये सवाल का न देने पर भदौरिया पर आला अधिकारियों के निर्देश पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया।उन्होंने प्राधिकरण से रिटायर होने से चंद माह पहले ही वीआरएस के लिए अर्जी दी और आला अधिकारियों ने उसे अविलंब ही स्वीकृत कर दिया। उन दिनों सपा सरकार थी और उसी के कारण वीआरएस की प्रक्रिया भी पूरी हो सकी।

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