हदय गति रुकने से वरिष्ठ पत्रकार ललित मोहन का निधन

Update: 2021-05-01 09:43 GMT

धीरेन्द्र अवाना

नोएडा। इंडिया न्यूज के वरिष्ठ पत्रकार ललित मोहन का शनिवार सुबह हृदय की गति रुकने से निधन हो गया। बताया जा रहा है कि कुछ दिन पूर्व ये कोरोना से संक्रमित पाए गये थे।आपको बता दे कि मिलनसार व सरल स्वभाव के नोएडा के चर्चित पत्रकार ललित मोहन काफी लंबे समय से पत्रकारिता कर रहे थे।

वे कई अखबारों और चैनलों में निष्पक्ष रियपोटिंग कर चुके है। फिलहाल वो काफी समय से इंडिया न्यूज में कार्यरत थे।  आज सुबह करीब 9:30 बजे ललित मोहन को अचानक छाती में दर्द होने के कारण कैलाश अस्पताल ले जाया गया। हालात ज्यादा खराब होने पर उन्हें चंद मिनटों बाद ही वेंटिलेटर पर ले जाया गया।

अस्पताल के महाप्रबंधक वीबी जोशी ने बताया कि वेंटिलेटर पर जब उन्हें सपोर्ट दिया गया तो कुछ ही देर बाद ही उनकी सांसें थम गई।उनकी कोरोना वायरस की जांच नही की गयी।प्रथम दृष्टाया उनका निधन हार्ट अटैक से ही हुआ है।

बताते चले कि ललित मोहन अपनी निर्भीक,बेबाक टिप्पणी व स्पष्टवादिता के लिए मशहूर थे।वह किसी बात को स्पष्ट होकर कही भी निर्भीक होकर टिप्पणी करते थे।इन्हीं सब कारणों से वह अक्सर विवाद व चर्चा में भी रहते थे।ललित मोहन भगवान शनिदेव के भक्त थे अजीब इत्तफाक है कि आज उनका निधन भी शनिवार के दिन ही हुआ।

उनके निधन की खबर सुनकर पूरे जिले के मीडिया जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। ललित मोहन के निधन पर मीडिया जगत से जुड़े लोगों,राजनीतिक दलों के नेताओं,स्वंयसेवी एंव समाजसेवी संगठनों के पदाधिकारियों ने दुख व्यक्त करते हुये शोक संतत परिवार को सांत्वना दी।

वहीं पत्रकार राजेश बैरागी ने कहा कि यह 1995-96 की बात है। मैं उन दिनों पंजाब केसरी समाचार पत्र का जिला संवाददाता था और सेक्टर-9 नोएडा में मेरा कार्यालय था। उन्हीं दिनों ललित मोहन मेरे संपर्क में आया। उससे पहले वह क्या करता था और उसकी जीवनचर्या क्या थी, मैं इस सब से आज तक अंजान हूं परंतु लोग बताते थे कि उसका और पुलिस का 36 का आंकड़ा था। कुछ पुलिसकर्मी जिनमें से कई उत्तराखंड चले गए, से ललित मोहन की खास अदावत थी।

मैंने कई बार अनुभव किया कि आमने-सामने आने पर वो दरोगा और ललित मोहन सहज नहीं रहते थे। खैर मेरे संपर्क में आने से ललित मोहन को अपने अतीत से काफी हद तक छुटकारा मिला और वह हिंदुस्तान अख़बार का संवाददाता नियुक्त हो गया।उसे पुलिसकर्मियों को अच्छे से हैंडल करना आता था जबकि मैं आज भी अंतरंगता स्थापित करने में नाकाम हूं। दैनिक ट्रिब्यून और अन्य कई समाचार पत्रों से होते हुए ललित मोहन अंततः इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रवेश कर गया।

उसके चरित्र और स्वभाव में ताउम्र कोई खास बदलाव नहीं आया।वह साहसी नहीं दुस्साहसी था। उसकी मां व पत्नी भली महिलाएं थीं जिनके लिए उसे नियंत्रित करना कभी संभव नहीं रहा। दरअसल ललित मोहन पत्रकारों के उस वर्ग का उच्च प्रतिनिधि था जो किसी खास कारणवश पत्रकारिता में प्रवेश करते हैं और फिर इसी के साथ किसी आदर्श और लक्ष्य के अभाव में सबकुछ जायज मानते हुए एक निर्धारित दायरे में पत्रकारिता के नाम पर जिंदा रहते हैं।आज कोरोना ने उसे निगल लिया। मैं उसे श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

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