शंकराचार्य जी के आगमन से बढ़ी आध्यात्मिक ऊर्जा
वातावरण वैदिक मंत्रों की पवित्र ध्वनि से गुंजायमान रहा;
नोएडा, सेक्टर-110, रामलीला मैदान |भारत उत्कर्ष महायज्ञ के सातवें दिन यज्ञ स्थल पर श्रद्धा और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। देश-भर से आ रहे श्रद्धालु 140 करोड़ आहुतियों के संकल्प में अपना योगदान दे रहे हैं। सुबह से ही भक्तों का आगमन निरंतर जारी है, और वातावरण वैदिक मंत्रों की पवित्र ध्वनि से गुंजायमान रहा।आज यज्ञ मंडप में एक विशेष आध्यात्मिक क्षण तब साकार हुआ जब जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज स्वयं पधारे। उन्होंने यजमानों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि "यज्ञ न केवल आध्यात्मिक साधना है, बल्कि यह राष्ट्र कल्याण और विश्वशांति का पवित्र माध्यम भी है।" उनके आगमन से श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह और ऊर्जा का संचार हुआ।इसके साथ ही, आज की कथा का मुख्य आकर्षण रहा राघवाचार्य जी द्वारा राम वन गमन प्रसंग का दिव्य वृतांत। जैसे ही उन्होंने भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के वनगमन के प्रसंग का वर्णन किया, पूरा पांडाल भक्ति और भावनाओं से भर उठा। कथा के दौरान कई श्रद्धालु भाव-विभोर होकर आँसू नहीं रोक पाए।
महर्षि महेश योगी संस्थान द्वारा आयोजित यह दस दिवसीय महायज्ञ अध्यात्म, सनातन संस्कृति और राष्ट्र उत्थान की प्रेरणाओं से ओत-प्रोत है। आयोजकों ने बताया कि महायज्ञ में निरंतर बढ़ रही श्रद्धालुओं की संख्या यह प्रमाण है कि देश की जनता आध्यात्मिक शक्ति और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति जागृत और समर्पित है।
कार्यक्रम स्थल पर आज भी भंडारा, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, कथावाचन और वैदिक अनुष्ठान पूरे दिन जारी रहे। आयोजन समिति ने सभी भक्तों से पावन यज्ञ में सम्मिलित होकर राष्ट्रकल्याण हेतु आहुति देने की अपील की।