ऊँट की चोरी निहुरे-निहुरे!

Update: 2021-07-04 08:19 GMT

शंभूनाथ शुक्ल 

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपनी आत्मकथा लिखी है और इसका शीर्षक दिया है, "निमित्त मात्र हूँ मैं" लेकिन इसे बिकवाने के लिए उन्होंने प्रदेश के 27 राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को निमित्त बनाया। INDIAN EXPRESS में आज प्रकाशित एक खबर के अनुसार इस पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर सभी 27 विश्वविद्यालयों के कुलपति बुलाए गए। पर जब वे वापसी के लिए अपनी गाड़ी पर आए तो हर गाड़ी में दो कार्टून रखे थे।

इन कार्टून में इस पुस्तक की 20 प्रतियाँ रखी थीं। एक फ़्री दी गई और बाक़ी 19 के लिए हर एक के ड्राइवर को 68383 रुपए के बिल थमाये गए थे। राज भवन से कहा गया था, कि हर कुलपति इन्हें अपने विवि के लिए ख़रीद ले।उनकी यह आत्मकथा कॉफ़ी टेबल बुक की तरह हार्ड कवर वाली सजी-धजी थी। हर पुस्तक की क़ीमत 3999 रुपए है और कुल बिल में से दस प्रतिशत की छूट दी गई है। सारे कुलपति हैरान हैं कि वे महामहिम के दफ़्तर से मिले आदेश का पालन कैसे करें।

कलराज मिश्र ने अपने 80 वें जन्मदिन पर यह समारोह रखा था। वे भाजपा की पूर्ववर्ती जनसंघ के समय से राजनीति में हैं और फिर भाजपा के जन्म के समय से जुड़े हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से उनका नाता है और ख़ुद को सिद्धांतवादी बताते हैं। वे भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के कई बार अध्यक्ष रहे हैं तथा प्रदेश सरकार में मंत्री भी। वे नरेंद्र मोदी सरकार में भी केंद्रीय मंत्री रहे हैं। उन्होंने राजस्थान का राज्यपाल बनते ही हर विश्वविद्यालय में संविधान की उद्देशिका का पाठ अनिवार्य कर दिया था। किंतु यह खबर तो उलट कहानी कह रही है।

महामहिम ऊँट की चोरी उस राजस्थान में निहुरे-निहुरे कर रहे हैं, जो वहाँ के गौरव का प्रतीक है और मरुभूमि की अनिवार्यता भी। 

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