ये एक तस्वीर भर नहीं है, जानते हो क्यों?

Update: 2018-09-25 11:31 GMT

चंडीगढ़ की ही तरह बसाया गया था नोएडा। नई जमीन पर बसा आधुनिक शहर लेकिन, बस जमीन बेचने का जरिया ही बनकर रह गया नोएडा। उसी नोएडा का यह एक तस्वीर है। इस तस्वीर में आप आसानी से सबको पहचान रहे होंगे। केंद्रीय मंत्री, नोएडा के सांसद महेश शर्मा, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, ड्रीम गर्ल हेमामालिनी और स्थानीय भाजपा विधायक पंकज सिंह। जिस एक शख्स को आप नहीं पहचान पा रहे होंगे या शायद पहचान भी रहे होंगे, उनके बारे में थोड़ा आगे बताऊंगा। खैर, तस्वीर का सन्दर्भ आगे फिलहाल बात नोएडा की।


होना तो यह था कि, नोएडा की हवा, पानी सबसे साफ होती। लोगों का जीवनस्तर सबसे अच्छा होता। लेकिन, हुआ क्या? उसका ठीक उल्टा। नोएडा में चौड़ी सड़कें हैं, अंडरपास, एलिवेटेड रोड, मेट्रो, सबसे चमकते मॉल, विश्वस्तरीय स्कूल और ब्रांडेड हॉस्पिटल हैं, इस तरह से देखें तो, आधुनिक शहर के लिहाज से सबकुछ है। लेकिन, सच यह है कि, जीवन की 2 सबसे जरूरी चीजें सबसे खराब हैं। हवा जहरीली हो गई है। और, खराब पानी ऐसा कि, पीना छोड़िए नहाने-धोने में ही स्वास्थ्य खराब कर देता है। पानी इतना खराब है कि, एसी या दूसरे ऐसे उपकरण जंग लगकर गल जाते हैं। ऐसे में मनुष्य का क्या हाल होता होगा, अन्दाजा लगाया जा सकता है। पिछले एक दशक से यहां रहने से हमें रोज का अनुभव है। अब इतने खराब पानी वाला नोएडा रोजगार की तलाश में दिल्ली आए लोगों को चौड़ी सड़कें हैं, अंडरपास, एलिवेटेड रोड, मेट्रो, सबसे चमकते मॉल, विश्वस्तरीय स्कूल और ब्रांडेड हॉस्पिटल आश्वस्त कर देते हैं कि, शानदार जीवन स्तर अपने परिवार के लिए हासिल किया जा सकता है। लेकिन, पानी तो खुद बदल नहीं सकते, साफ भी नहीं कर सकते क्योंकि, खुद साफ करने वाली गन्दगी नहीं है। खतरनाक रसायन यहां के पानी में मिले हुए हैं। नोएडा प्राधिकरण देश के सबसे सम्पन्न प्राधिकरणों में है। यहां नगर निगम भी नहीं है। खैर, होती भी तो, स्थिति में कोई बदलाव आता, यह कल्पना करना भी अपराध ही होगा।




 

देश के सबसे सम्पन्न प्राधिकरणों में शामिल नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने कभी इस बारे में शायद ही सोचा होगा कि, इस पानी को कैसे जीने लायक, पीने लायक बनाया जा सकता है। देश भर के नगर निगमों का पहला ध्यान किसी भी बात से पहले साफ हवा, पानी देने पर क्यों नहीं होना चाहिए। अब मैं आपको बताता हूं, तस्वीर में आखिरी आदमी कौन है। उनका नाम है डॉक्टर महेश गुप्ता। महेश गुप्ता KENT RO कम्पनी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। उन्होंने रिवर्स ऑस्मोसिस की तकनीक ऐसे प्रयोग की कि, नोएडा में रहना है तो, केन्ट की मशीन लगाना है जैसा नारा जीवन की जरूरत बन गया। बाजार हमें-आपको साफ पानी दे रहा है क्योंकि, सरकार बाजार के लिए मैदन खुला छोड़ गई। हालांकि, अब कई दूसरी कम्पनियां भी इसी तकनीक से पानी साफ कर रही हैं। इन मशीन कम्पनियों का ऐसा एकाधिकार है कि, एक बार इनकी मशीन खरीदे तो, मशीन रहते तक इनके बंधक हो गए। सालाना AMC के नाम पर करीब ढाई हजार रुपये में सिर्फ कम्पनी का कर्मचारी आकर सर्विसिंग कर देता है। मोटर की भी गारंटी सिर्फ 6 महीने की। उन्हीं महान डॉक्टर महेश गुप्ता के साथ हमारे नेता, हमारी ड्रीम गर्ल और हमारे अध्यात्मिक गुरु बैठे हैं। न तो मुझे डॉक्टर महेश गुप्ता से कोई परेशानी है और न ही हमारे नेता, हमारी ड्रीम गर्ल और हमारे अध्यात्मिक गुरु से। लेकिन, दिक्कत यह है कि, देश के सबसे आधुनिकतम शहर में भी साफ पानी न दे पाने के बावजूद हमारे नेता, हमारी ड्रीम गर्ल और हमारे अध्यात्मिक गुरु डॉक्टर महेश गुप्ता के मंच पर बैठकर साफ पानी को हमेशा के लिए हमारे जीवन से गुप्ता जी की मशीन के जरिये आना ही पक्का कर दे रहे हैं। डॉक्टर महेश गुप्ता अच्छे, दूरदर्शी कारोबारी हैं, उनका सम्मान होना चाहिए। मैं बाजार का ज्यादातर मामलों में समर्थक हूं। लेकिन, बाजार जीवन की मूलभूत जरूरत नियंत्रित करने लगे, जीने की शर्तें तय करने लगे और हमारे नेता, हमारी ड्रीम गर्ल और हमारे अध्यात्मिक गुरु मुस्कुराते उसे मान्यता देने में जुट जाएं तो, शर्मनाक लगता है।

अब तो उन शहरों में भी इन या उन गुप्ता जी की पानी साफ करने वाली मशीन पहुंच चुकी है जहां, बोतलबंद पानी पीने वाले को हेय दृष्टि से देखा जाता था। हम सब उसी दुष्चक्र का शिकार हो चुके हैं। सोचिए जिन सरकारों, नगर निगमों, प्राधिकरणों में पानी साफ करने की भी कूवत नहीं है, उनसे हम जाने क्या-क्या कर देने की उम्मीद पाल लेते हैं।

अब नोएडा की ही एक और तस्वीर मैं आपको दिखाता हूं। यह तस्वीर है नोएडा के सबसे बड़े और शायद देश के भी सबसे बड़े मॉल्स में से एक डीएलएफ मॉल ऑफ इंडिया में लगी टीवी स्क्रीन की। इस चमकते मॉल की चमकती टीवी स्क्रीन पर इतना साफ लिखा होने के बाद किसी तरह की भ्रम की गुन्जाइश तो रह नहीं जाती है। साफ-साफ लिखा है कि, मॉल के अलावा कहीं और हो तो, जहरीली हवा सांसों के जरिये शरीर में जा रही है। इसलिए बस मॉल में सांस लो और खाओ, पियो, खरीदो। इसीलिए कह रहा हूं कि, हमारे नेता, हमारी ड्रीम गर्ल, हमारे अध्यात्मिक गुरु और डॉक्टर महेश गुप्ता किसी से मेरी नाराजगी नहीं है। मेरी नाराजगी डीएलएफ मॉल ऑफ इंडिया और उसमें साफ हवा वाली टीवी स्क्रीन लगाने वालों से भी नहीं है। लेकिन, हमसे साफ हवा-पानी का हक छीन लेने वाले इस बाजार और उस बाजार को मुस्कुराते पुष्पित पल्लवित करने वाले हमारे नेता, हमारी ड्रीम गर्ल, हमारे अध्यात्मिक गुरु और डॉक्टर महेश गुप्ता के नापाक गठजोड़ से है। गुस्सा उस नोएडा प्राधिकरण से है जो, नई जमीन पर सबसे अच्छा, आधुनिक जीवन देने का वादा करके जमीन का दलाल भर बन बैठा है। साफ बोतलबंद पानी आया और नल का पानी भी अब पीने छोड़िए नहाने-धोने लायक भी नहीं रहा। अब साफ हवा की मशीनों वाली कम्पनियां आ रही हैं। Pollution Free Air Zone बन रहे हैं। मतलब साफ है जल्दी ही उतने ही लोग साफ हवा में सांस ले सकेंगे, जितने लोग उस खास इलाके में रहना खरीद सकते हैं। इस बाजार और उसके पैरोकारों से मुझे चिढ़ हो रही है। मैं बार-बार कह रहा हूं कि, सरकारों पर दबाव बने कि, #">SayNoToAirPurifier एयर प्योरीफायर कम्पनियों का लाइसेंस तुरन्त रद्द किया जाए।

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