
सबसे बड़ी खुश खबरी: कोविड-19 संक्रमण के परीक्षण के लिए विकसित की किट और वैक्सीन के उत्पादन की शुरू की तैयारी

नई जैविक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम कर रहे स्टार्टअप सीगुल बायोसॉल्युशंस को कोविड-19 महामारी में काम आने वाली एक्टिव वीरोसम (एवी)- वैक्सीन और इम्यूनोडायग्नोस्टिक किट के विकास के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा वित्तपोषण किया जा रहा है।
सीगुल बायो द्वारा विकसित एक्टिव वीरोसम टेक्नोलॉजी (एवीटी) वैक्सीन और इम्यूनोथेरेप्यूटिक (प्रतिरोधी चिकित्सा) एजेंट के उत्पादन में उपयोगी है। एवीटी प्लेटफॉर्म नए, गैर खतरनाक और किफायती एक्टिव वीरोसम एजेंट के उत्पादन में उपयोगी है, जिससे लक्षित रोगजनक से जरूरी एंटीजन का पता चलता है। इसे कोविड 19 से बचाव के लिए एक नई वैक्सीन के विकास में और कोविड 19 के लिए इम्यूनोडायग्नोस्टिक एलीजा किट में उपयोग किया जाएगा।
डीएसटी सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा, "कोविड 19 की चुनौतियों का हल निकालने के लिहाज से सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन के साथ ही सटीक निदान, संचरण की चेन तोड़ना, उपचार और बचाव के उपाय अपनाना खासा अहम हो जाता है। इनमें से वैक्सीन को विकसित करने में लंबा समय लग जाता है और इसलिए अब इस गतिविधि को तेजी से पूरा करना खासा अहम हो गया है।"
पोलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) आधारित डायग्नोस्टिक किट्स जो वर्तमान में भारत में उपलब्ध है, सक्रिय कोविड 19 संक्रमण से तेजी से रक्षा करने में सक्षम है लेकिन यह स्पर्शोन्मुख संक्रमण या ऐसे लोगों की पहचान नहीं कर सकता, जो अतीत में कोविड 19 के मरीजों के संपर्क में थे या संक्रमित थे और बीमारी से पीड़ित नहीं है या कोविड 19 बीमारी से उबर चुके हैं तथा आगे भी वायरस फैला सकते हैं। इसके विपरीत इम्यूनोडायग्नोस्टिक किट से कोविड की एंटीबॉडीज के बारे में पता करने में सहायता मिलती है, जो इन संक्रमणों का भी पता लगा सकती है। इसलिए, एसबीपीएल ने कोविड 19 के लिए इम्यूनोडायग्नोस्टिक के उत्पादन के प्रयास शुरू किए हैं। इन परीक्षणों से स्वास्थ्य शोधकर्ताओं के लिए कोविड 19 के प्रसार के बारे में सटीकता से पता लगाना संभव हो जाता है।