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दिल्ली को सिंगापुर बना पाएगी केजरीवाल सरकार? झूठे आंकड़ों से सच होगा सपना?

Prem Kumar
30 March 2022 11:34 AM GMT
दिल्ली को सिंगापुर बना पाएगी केजरीवाल सरकार? झूठे आंकड़ों से सच होगा सपना?
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अगर 5 साल बाद दिल्ली में रोजगार का स्तर 45 फीसदी के स्तर तक ले जाना है तो इसके लिए कम से कम 1.63 करोड़ लोगों के पास रोजगार रहना चाहिए।

अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के बजट में यह उल्लेख कर सनसनी फैला दी है कि वह अगले 5 साल में रोजगार वाली आबादी को वर्तमान में 33 फीसदी के स्तर से बढ़ाकर 45 फीसदी कर देगी। दावा यह भी है कि ऐसा वह अगले पांच साल में 20 लाख रोज़गार सृजित करते हुए करेगी। यह उपलब्धि अगर वास्तव में हकीकत बन पाती या इसके हकीकत में तब्दील होने की संभावना होती तो यह कदम निश्चित रूप से क्रांतिकारी कदम होता। क्या केजरीवाल सरकार झूठे दावे कर रही है?

दिल्ली सरकार का बजट पेश करते हुए डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया 2011 के आंकड़े रखते हैं। बजट भाषण में वे कहते हैं कि दिल्ली की जनसंख्या 1.68 करोड़ है और रोज़गार में लगी आबादी 55.87 लाख है। इस तरह हर तीसरा व्यक्ति रोजगार में है। 11 साल पुराने आंकड़ों की बुनियाद पर कही जा रही इस बात से आश्चर्य होता है! नयी जनगणना नहीं हो पाना इसकी एक वजह हो सकती है। फिर भी सुनहरे सपने दिखाने का आधार क्या ये आंकड़े होने चाहिए?

इकोनोमिक सर्वे ऑफ डेल्ही 2020-21 और इससे पहले के भी सर्वे में लगातार यह कहा गया है कि दिल्ली में रोजगार और रोजगार रहित आबादी का अनुपात लगभग एक समान बना हुआ है। इसका मतलब यह है कि डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया की यह बात बिल्कुल सही है कि दिल्ली में हर तीसरे व्यक्ति के पास रोजगार है। फिर डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया से चूक कहां हो रही है? आइए इसे समझते हैं।

वर्तमान में दिल्ली की आबादी कितनी है? वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू डॉट कॉम के मुताबिक दिल्ली की वर्तमान जनसंख्या 3.11 करोड़ है। हर तीसरे व्यक्ति के रोजगार में होने का मतलब है कि 1 करोड़ से ज्यादा लोग इस वक्त रोजगार में हैं। 5 साल बाद 2027 में दिल्ली की आबादी 3 करोड़ 64 लाख (स्रोत-वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू डॉट कॉम) रहने के आसार हैं।

अगर 5 साल बाद दिल्ली में रोजगार का स्तर 45 फीसदी के स्तर तक ले जाना है तो इसके लिए कम से कम 1.63 करोड़ लोगों के पास रोजगार रहना चाहिए। ऐसा तभी संभव है जब इन पांच सालों में 63 लाख अतिरिक्त लोगों को रोजगार दिए जाएं। अब बात समझ में आ गयी होगी कि केजरीवाल सरकार को अपने सुनहरे वादे को पूरा करने के लिए 20 लाख नहीं, 63 लाख रोज़गार पैदा करने होंगे। तभी अगले पांच साल में 45 फीसदी लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

क्या जुमला साबित होगा 5 साल में 20 लाख रोजगार का वादा?

किसी रैली में किसी नेता के भाषण की चर्चा यहां नहीं हो रही है। दिल्ली विधानसभा के पटल पर रखे गये बजट भाषण की चर्चा की जा रही है। डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया को शानदार बजट पेश करने के लिए बधाई देते मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार की बात यहां हो रही है। 5 साल में 63 लाख तो छोड़िए, 20 लाख नौकरी भी केजरीवाल सरकार कहां से और कैसे देगी- यह बहुत बड़ा सवाल है।

बजट पेश करते हुए खुद केजरीवाल सरकार मानती है कि वह बीते 7 साल में केवल 1.78 लाख लोगों को सरकारी नौकरी दे सकी है। ऐसे में वर्तमान सरकार के बाकी बचे 3 साल में ऐसा चमत्कार कैसे होगा कि अगले पांच साल में 20 लाख नौकरियां पैदा हो जाए? जवाब है कि केजरीवाल सरकार इसके लिए रोजगार का इको सिस्टम तैयार कर रही है। यह इको सिस्टम बना या नहीं, इसका पता तो 2027 में ही चलेगा। तब तक पता नहीं केजरीवाल सरकार रहे या न रहे क्योंकि जनता ने उन्हें 2025 तक के लिए नहीं चुना है।

दिल्ली विधानसभा में पेश बजट में बताया गया है कि बीते 7 वर्षों में कहां-कहां पक्के रोजगार के अवसर बनाए गये हैं। दिल्ली सरकार का दावा है कि 51,307 पक्की नौकरी तो डीएसएसबी के जरिए दी गयी है। दिल्ली विश्वविद्यालयों में करीब 2,500 रोजगार, अस्पतालों में करीब 3,000 रोज़गार, करीब 25 हजार गेस्ट टीचर, सफाई और सुरक्षा क्षेत्र में एजेंसियों के माध्यम से करीब 50 हजार रोज़गार दिए गये हैं। इन्हें जोड़कर भी 1.78 लाख रोजगार का आंकड़ा पूरा नहीं होता।

सालाना बजट में केजरीवाल सरकार 5 साल और 25 साल आगे का लक्ष्य तय कर रही है। केजरीवाल सरकार के 2 साल बीत चुके हैं। 3 साल बाकी हैं। फिर भी वह आगे के 5 साल में 20 लाख रोज़गार देने का वादा कर रही है मानो केजरावील सरकार को पता हो कि जनता दोबारा उनकी ही सरकार को मौका देने वाली है। यह बात भी जनता को नागवार नहीं गुजरती, अगर तथ्य सही होते।

क्या सिंगापुर के बराबर हो सकेगी दिल्ली वालों की आय?

बजट पेश करते हुए दिल्ली सरकार की ओर से बताया गया है कि लंदन की आबादी 90 लाख है और इनमें 51.60 लाख यानी 58 प्रतिशत रोजगार में हैं। न्यूयॉर्क की आबादी 88 लाख है और इनमें से 46.25 लाख लोग रोजगार में हैं। यह प्रतिशत रूप में 52.6 है। सिंगापुर की 55 लाख आबादी में 36.43 लाख रोजगार में हैं। इस तरह लगभग 67 फीसदी लोग यहां रोजगार में हैं। आम बजट में आगे कहा गया है, "अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का, पर कैपिटा इनकम को आगे बढ़ाने का रास्ता यहीं से समझ में आएगा"

निस्संदेह रोजगार बढ़ने से ही अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगी। दिल्ली सरकार यह भी बताती है कि 2047 तक सिंगापुर वालों की उस वक्त की आय के बराबर ले जाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है कि हमारे अधिक से अधिक दिल्लीवासियों के पास एक सम्मानजनक रोजगार हो। प्रतिव्यक्ति आय सिंगापुर वालों के समान हो।

दिल्ली को सिंगापुर बनाने की ओर बढ़ती हुई क्या दिल्ली सरकार दिख रही है? अगले पांच साल में 45 फीसदी लोगों के पास रोजगार हो इसके लिए 20 लाख नहीं, 63 लाख रोजगार पैदा करने होंगे। क्या ऐसा मुमकिन हो सकेगा? मुमकिन कैसे हो जब लक्ष्य ही 63 लाख रोजगार का नहीं है। अगर दिल्ली सरकार की घोषणा के मुताबिक अगले पांच साल में 20 लाख रोजगार दिए जाते हैं तो 2027 में दिल्ली में हर तीन में से एक व्यक्ति के पास ही रोजगार रहेगा। यानी वर्तमान स्थिति में कोई फर्क नहीं आ सकेगा।

ऐसा लगता है कि सपने दिखाने में केजरीवाल सरकार सीधे केंद्र की मोदी सरकार से स्पर्धा करती दिख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 फरवरी 2016 को सपना दिखाया था कि 2022 तक किसानों की आमदनी दुगुनी हो जाएगी। तब उन्हें पता नहीं था कि 2019 में आम चुनाव जीतकर वे दोबारा प्रधानमंत्री बनेंगे। बन भी गये। लेकिन, 28 फरवरी 2022 तक किसानों की आमदनी दुगुनी नहीं हो सकी। केजरीवाल सरकार को भी नहीं मालूम कि पांच साल बाद या 25 साल बाद वह सत्ता में रहेंगे या नहीं। फिर भी सपने वह लगातार दिखाती चली जा रही है। क्या केजरीवाल सरकार की घोषणा का भी वैसा ही हश्र होने वाला है जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाल केंद्र सरकार का हुआ था?


Prem Kumar

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प्रेम कुमार देश के जाने-माने टीवी पैनलिस्ट हैं। 4 हजार से ज्यादा टीवी डिबेट का हिस्सा रहे हैं। हजारों आर्टिकिल्स विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म पर प्रकाशित हो चुके हैं। 26 साल के पत्रकारीय जीवन में प्रेम कुमार ने देश के नामचीन चैनलों में महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। वे पत्रकारिता के शिक्षक भी रहे हैं।

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