संपादकीय

क्या ईडी के छापे कांग्रेस के लिए 'बूस्टर डोज़' हैं?

Yusuf Ansari
21 Feb 2023 1:17 PM GMT
क्या ईडी के छापे कांग्रेस के लिए बूस्टर डोज़ हैं?
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सवाल पैदा होता है कि क्या इस तरह डर डर के राहुल गांधी मोदी सरकार का मुकाबला कर पाएंगे?

यूसुफ़ अंसारी, वरिष्ठ पत्रकार

क्या मोदी सरकार कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से डर गई है? क्या उसे ये डर सताने लगा है कि कांग्रेस विपक्षी दलों का महागठबंधन बनाकर 2024 के चुनाव में उसे सत्ता से बेदखल कर देगी? क्या इसी लिए वो रायपुर 24 से 26 फरवरी तक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन को डिस्टर्ब करना चाहती है? सोमवार सुबह छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं के यहां पड़े प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के छापों से उठे हैं। एक तरफ तो कांग्रेस इन छापों को उसके महाधिवेशन डिस्टर्ब करने की साजिश ही मान रही है। वहीं ये भी कह रही है कि ये छापे पीएम मोदी से लड़ाई में उसके लिए बूस्टर डोज़ हैं।

गौरतलब है कि सोमवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 6 कांग्रेस नेताओं के ठिकानों पर छापा मारा। इसमें विधायक और पार्टी पदाधिकारी शामिल हैं। एजेंसी ने कोयला लेवी घोटाले में कार्रवाई की है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को ट्वीट कर ED के छापों की जानकारी दी। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'प्रदेश कांग्रेस कोषाध्यक्ष, पूर्व उपाध्यक्ष और विधायक समेत कई साथियों के घरों पर ED ने छापा मारा है। 4 दिन के बाद रायपुर में कांग्रेस का महाधिवेशन है। तैयारियों में लगे साथियों को इस तरह डराकर हमारे हौसले नहीं तोड़े जा सकते। भारत जोड़ो की सफलता और अडानी की सच्चाई खुलने से भाजपा हताश है। यह ध्यान भटकाने का प्रयास है। हम लड़ेंगे और जीतेंगे।

इन छापों की ख़बर दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में जंगल में आग की तरह फैल गई। कांग्रेस फौरन हरकत में आ गई। कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने फौरन प्रेस कांफ्रेस बुलाकर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने दो टूक कहा कि कांग्रेस छापेमारी से नहीं डरेगी। रायपुर में उसका अधिवेशन पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही होगा। उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता कि छापे लंबे समय तक जारी रहेंगे या नहीं। लेकिन इन छापों ने हमें प्रधानमंत्री के प्रति और अधिक आक्रामक होने के लिए एक बूस्टर डोज दे दी है।' कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने चेतावनी दी है कि कांग्रेस उन राज्यों में जवाबी कार्यवाही कर सकती है जहां वह अभी भी सत्ता में है खेड़ा ने कहा, 'हम कई राज्यों में सत्ता में है आने वाले दिनों में और राज्यों में छापे पड़ेंगे 2024 का आम चुनाव आ रहा है देश का मौसम बदल रहा है।'

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और भी आक्रामक नज़र आए। वो मोदी सरकार के ईडी और कम टैक्स के छापों का बहीखाता लेकर सामने आए। खरगे ने कहा 'पिछले 9 सालों में ED ने जो रेड की हैं उसमें 95% विपक्षी नेता हैं, और सबसे ज्यादा कांग्रेस नेताओं के खिलाफ की है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अडाणी की सच्चाई खुलने और भारत जोड़ो यात्रा की सफलता से हताश हो चुकी भाजपा ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। कुल मिलाकर कांग्रेस ईडी के छापों के बाद मोदी सरकार से दो-दो हाथ करती दिखाई दी। ये लड़ाई प्रेस कांफ्रेस और ट्वीटर तक ही सीमित नहीं रही। कांग्रेस ने दोपहर बाद रायपुर में ED दफ्तर का घेराव करके बता दिया कि वो अब हर मोर्चे पर लड़ाई के मूड में आ गई है।

हैरानी की बात यह है कि ईडी के इंसानों को अपने लिए बूस्टर डोज़ बताने वाली कांग्रेस के दो सबसे अहम नेताओं ने इन पर अपना मुंह तक नहीं खोला है। लगातार 5 महीने कन्याकुमारी से कश्मीर तक पदयात्रा करके खुद को पीएम मोदी के मुकाबले खड़ा करने की कोशिश करने वाले राहुल गांधी का इन छापों पर कोई बयान नहीं आया है। उन्होंने एक ट्वीट तक नहीं किया। वहीं कांग्रेसदूसरी अहम नेता उनकी बहन और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इन छापों पर कुछ भी कहना मुनासिब नहीं समझा। कांग्रेस नेता ने इन दोनों की चुप्पी को हैरान करने वाली बता रहें हैं। वहीं कुछ नेताओं का कहना है कि रणनीतिक रूप से इन दोनों ने खुद को इस मामले से अलग रखा है। क्योंकि इनके मुंह खोलते ही बीजेपी की ट्रोल ब्रिगेड इन के पीछे पड़ जाती है।

सवाल पैदा होता है कि क्या इस तरह डर डर के राहुल गांधी मोदी सरकार का मुकाबला कर पाएंगे? भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कई बार कहा कि वो न तो पीएम मोदी से डरते हैं, ना उनकी सरकार से, न बीजेपी से और न ही संघ परिवार से। लेकिन अब जब उनके नेताओं पर ईडी के छापे पड़ रहे हैं तो वो मुंह सिले बैठे हैं। राहुल गांधी की खामोशी उनके दावों से मेल नहीं खाती। यही वजह है कि राहुल गांधी बीजेपी के साथ-साथ कई क्षेत्रीय दलों के भी निशाने पर रहते हैं। उनका यह आरोप है कि राहुल और बीजेपी के खिलाफ राजनीतिक लड़ाई को गंभीरता से नहीं ले रहे। राहुल गांधी को भारतीय राजनीति में वैसे भी पार्ट टाइम पॉलिटिशियन माना जाता है। भारत जोड़ो यात्रा के जरिए उन्होंने अपनी छवि बदलने की कोशिश जरूर की है। लेकिन इसमें अभी तक पूरी तरह कामयाबी नहीं मिल पाई है।

गौरतलब है कि दो दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कांग्रेस से 2024 के लिए जल्दी कमर कसने की अपील की थी। इसके जवाब में कांग्रेस ने रविवार को ऐलान किया था कि वह अकेली पार्टी है जो विपक्षी दलों के मोर्चे का नेतृत्व करने के लिए सांगठनिक और नैतिक बल रखती है। कांग्रेस ने यह भी कहा था कि उसके बिना कोई भी विपक्षी मोर्चा संभव नहीं है। कांग्रेस के ऐलान के अगले दिन ही छत्तीसगढ़ में उसके नेताओं के घर ईडी ने छापेमारी कर दी। हालांकि ईडी का कहना है कि ये पुराना मामला है।

इस मामले में एक आईएएस और 13 कारोबारी जेल में हैं। ईडी चाहे जो कहे, इन छापों के पीछ पीछे असली कारण राजनीति ही है। इनका ताल्लुक इसी साल छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ-साथ अगले लोकसभा चुनाव से भी है।

केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद राज्यों विधानसभा चुनाव से पहले वहां की गैर बीजेपी सरकार के नेताओं के घर इनकम टैक्स, सीआईडी या फिर सीबीआई के छापे पढ़ने शुरू हो जाते हैं। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से जुड़े नेताओं के छापे पड़े थे। इत्तेफाक से कन्नौज में जिस इत्र कारोबारी के यहां समाजवादी पार्टी का करीबी समझकर छापा डाला गया था वह बीजेपी का ही करीबी निकला था। इससे मोदी सरकार की काफी फजीहत हुई थी। इससे पहले 2021 में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं पर भी ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई ने शिकंजा कसा था। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी ममता बनर्जी को सत्ता से बेदखल करने में कामयाब नहीं हो पाई थी।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी नेताओं के यहां पड़े इन छापों के भी गहरे राजनीतिक मायने हैं। बीजेपी इनके ज़रिए कांग्रेस का मनोबल तोड़ना चाहती है। फिलहाल कांग्रेस इन छापों पर मोदी सरकार से दो-दो हाथ करते नजर आ रही है। लेकिन वो मोदी सरकार और बीजेपी को उनके मंसूबों में कामयाब होने से रोक पाएगी इसका पता तो चुनावों में ही चलेगा। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी की 15 साल पुरानी सत्ता को उखाड़ फेंका था। इस बार उसके सामने अपनी छत्तीसगढ़ की सत्ता बचाने की चुनौती है। इससे भी बड़ी चुनौती अगले साल लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को केंद्र से उखाड़ फेंकने की है। इन दोनों चुनौतियों पर खरा उतरने के लिए कांग्रेस को छापों का बूस्टर डोज से ज्यादा चुनावी रणनीति बनाने की जरूरत है। इस सच्चाई को वो को जितना जल्दी समझ लेगी उतना अच्छा होगा।

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