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Dussehra: दशहरे के दिन यहां होती है रावण की पूजा, जानें क्या है मान्यता

Ravana is worshiped here in India on the day of Dussehra. Read full news
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दशहरे के दिन यहां होती है रावण की पूजा, जानें क्या है मान्यता

एकतरफ जहां पूरे देशभर में दशहरे पर रावण के पुतले को जलाया जाता है तो वहीं भारत में ही एक जगह रावण की पूजा होती है।

Dussehra: आज पूरा देश दशहरा का पर्व मना रहा है। आज असत्य पर सत्य की जीत का दिन है। आज की शाम हर तरफ आपको रावण जलता हुआ नजर आएगा। दरअसल, पूरा भारत रावण को बुराई का प्रतीक मानकर दशहरा के दिन जलाता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इसी भारत में ही एक ऐसी जगह है जहां रावण की पूजा होती है। यहां तक कि इस जगह के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं। आइए आपको बताते हैं कि आखिर इस जगह से रावण का इतना गहरा संबंध कैसे है और क्यों लोग रावण को आज भी अपना दामाद मानते हैं।

भारत में कहां है यह जगह

हम जिस जगह की बात कर रहे हैं वो मध्य प्रदेश में है। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के मंदसौर में रावण को लोग अपना दामाद मानते हैं, यही वजह है कि यहां लोग इसकी पूजा करते हैं। कहा जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी का मंदसौर में घर था, इसीलिए यहां के लोग आज भी रावण को अपना दामाद मानते हैं।

रावण की होती है पूजा

एक तरफ जहां पूरे सभी जगह रावण को बुराई का प्रतीक मानकर जलाते हैं तो वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के मंदसौर में इस पुतले की पूजा होती है। वहीं मंदसौर के रूंडी में तो रावण की एक मूर्ती भी बनी हुई है जिसकी पूजा होती है। यहां लोग रावण को फूल माला चढ़ा कर उसकी पूजा करते हैं। मंदसौर के अलावा कई और जगहें भी हैं जहां रावण की पूज होती है। भारत के अलावा और श्रीलंका में भी कई जगह रावण की पूजा होती है।

यहां अभी मौजूद है रावण का शव

ऐसी मान्यता है कि श्रीलंका के रगैला के जंगलों में करीब 8 हजार फीट की ऊंचाई पर रावण का शव रखा गया है। लोगों का मानना है कि यहां रावण के शव को ममी के रूप में संरक्षित रखा गया है। श्रीलंका घूमने जाने वाले लोगों के लिए ये जगह और रावण का महल बहुत बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। यही वजह है कि हर साल इस जगह से श्रीलंका सरकार को काफी फायदा होता है।

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बिसरख में नहीं मनाया जाता है दशहरा

हिंदू मान्यता के अनुसार उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर के पास बिसरख नामक गांव को रावण की जन्मस्थली माना जाता है। ऐसे में स्थानीय लोग दशहरे का पर्व नहीं मनाते हैं क्योंकि उनकी आस्था रावण पर बहुत ज्यादा है और उसे महाज्ञानी मानकर पूजा करते हैं। दशहरे के दिन यहां के लोग रावण के मरने का शोक और बाकी दिन उसकी पूजा करते हैं।

उद् भव त्रिपाठी

उद् भव त्रिपाठी

इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज से स्नातक पूर्ण किया हूं। पढ़ाई के दौरान ही दैनिक जागरण प्रयागराज में बतौर रिपोर्टर दो माह के कार्य का अनुभव भी प्राप्त है। स्नातक पूर्ण होने के पश्चात् ही कैंपस प्लेसमेंट के द्वारा haribhoomi.com में एक्सप्लेनर राइटर के रूप में चार महीने का अनुभव प्राप्त है। वर्तमान में Special Coverage News में न्यूज राइटर के रूप में कार्यरत हूं। अध्ययन के साथ साथ ही कंटेंट राइटिंग और लप्रेक लिखने में विशेष रुचि है।

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