लखनऊ

अनुदेशक शिक्षामित्रों को देने को नहीं है 15 दिन का वेतन, जबकि 7 लाख स्नातक को 9000 देने के लिए पैसा है

Shiv Kumar Mishra
25 Jan 2023 7:04 AM GMT
अनुदेशक शिक्षामित्रों को देने को नहीं है 15 दिन का वेतन, जबकि  7 लाख स्नातक को 9000  देने के लिए पैसा है
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सरकार को 7 लाख की जगह 9 लाख लोगों का समायोजन कराना चाहिए और अनुदेशक शिक्षा मित्रों को भी वेतन 20000 हजार रुपये दे देना चाहिए

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के 15 दिन का वेतन काट लिया। इतने वेतन काट लेने से सरकार के पास अब बजट की कोई कमी नहीं रहेगी जबकि सरकारी शिक्षकों को करोड़ों रुपये देकर सरकार की खजाने में कोई कमी नहीं आएगी।

उत्तर पोरदेश की सरकार ने इस साल जून माह की 15 दिन की छुट्टी को रोक दिया और जो एक माह का वेतन शिक्षा मित्र अनुदेशक को नहीं मिलता था उसे 15 15 दिन में दो बार कर दिया जो अनैतिक है। क्योंकि अनुदेशक और शिक्षामित्र को ग्यारह माह का वेतन मिलता है जबकि इन्ही की तरह सरकार के कस्तूरबा गांधी विद्यालय में कार्यरत अनुदेशकों को 11 माह 29 दिन का मानदेय मिलता है। अब अनुदेशक और शि क्षा मित्रों में भी दो पॉलिसी है।

चिंता का विषय यह है कि जब अध्यापक का वेतन 6000 हजार था तब शिक्षा मित्र का वेतन 2500 रुपये रखा गया, अब उसी अध्यापक का वेतन 70000 हजार से 90000 हजार के बीच में है लेकिन शिक्षा मित्र का वेतन 10000 हजार है जबकि उनके वेतन में 12 से 15 गुने तक की वृद्धि हुई लेकिन शिक्षा मित्र का वेतन केवल चार गुना बढ़ा क्यों?

उसी अनुपात में अगर शिक्षा मित्र के वेतन 25000 हजार से सीनियर जूनियर के अनुसार 30000 हजार तक होता तो कोई शिक्षा मित्र कभी नहीं बोलता। उसके बाद शिक्षा मित्र की शिक्षक के सामने कोई औकात नहीं है। कोई सम्मान नहीं है कोई इज्जत नहीं है, उसे बड़ी हे दृष्टि से देखता है। इसलिए इनके बीच आए दिन झगड़ा फसाद होता है क्योंकि अब शिक्षा मित्र की उम्र भी पैंतालिश वर्ष से लेकर 55 वर्ष तक हो रही है जबकि शिक्षक उनसे कम उम्र के भी या रहे है वो भी उन्हे उम्र के हिसाब से सम्मान नहीं देते है।

यही हाल उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत अनुदेशकों के साथ है। उनके साथ भी यही बात हुई जब 2013 में उनकी नियुक्ति हुई तब न्यूनतम वेतनमान 7000 हजार था जो बाद में कुछ बढ़ गया तो यूपी की अखिलेश यादव सरकार ने 8470 रुपये कर दिया। जिसे बाद में योगी सरकार ने रोक दिया और पाने कार्य काल के दौरान दिया गया वेतन वसूल भी कर लिया। अब इनको 9000 हजार मानदेय मिलता है जबकि न्यूनतम वेतन अब 25000 हजार के आसपास हो चुका है और अनुदेशक आज भी अपने 17000 हजार का रोना रो रहा है और सरकार अब इनके 15 दिन का वेतन रोककर मालामाल हो गई।

मंगलवार को उत्तर प्रदेश दिवस मनाया गया जिसमें शिक्षा मित्रों और अनुदेशकों के सामने पैसा का रोना रोने वाली सरकार अब 7 लाख ग्रेजुएटों को 9000 रुपये महिना भत्ता देगी। जिसके लिए सरकार के पास हजारों करोड़ रुपये है लेकिन इन डेढ़ लाख शिक्षा मित्रों और अनुदेशकों के लिए नहीं।

सरकार को 7 लाख की जगह 9 लाख लोगों का समायोजन कराना चाहिए और अनुदेशक शिक्षा मित्रों को भी वेतन 20000 हजार रुपये दे देना चाहिए ताकि इनके परिवार में भी खुशहाली या जाए। आपको बताया दें कि आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सरकार बेरोजगार ग्रेजुएट को 9000 हजार भत्ता देने जा रही है। जैसे राशन के जरिए यूपी समेत कई राज्यों में बीजेपी ने परचम लहराया है। फ्री की रेवड़ी की बात करने वाली सरकार के पास अब बेरोजगार दिखे कैसे। बेरोजगारों होश में आयो ये आपको सब कुछ देंगे।

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