लालू प्रसाद ने अपनी किताब में नीतीश कुमार को लेकर किया बड़ा खुलासा!

लालू प्रसाद की किताब में इस बात का जिक्र है कि जेडीयू के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत किशोर को पांच अलग अलग मौकों पर नीतीश कुमार ने उनके पास भेजा था?

Update: 2019-04-05 04:50 GMT
नई दिल्ली : 2015 में बिहार में एक ऐसी जुगलबंदी दिखाई दी थी जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी। हालांकि राजनीति में कुछ भी स्थाई या अस्थाई नहीं होता है। समय, काल और हालात के मद्देनजर फैसले किए जाते हैं ये बात अलग है सिद्धांतों की तिलांजलि दे दी जाती है। अगर ऐसा न होता तो शायद लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार एक साथ न आए होते। 2015 में जे़डीयू- आरजेडी की जुगलबंदी काम आई और उनकी आंधी में बीजेपी उड़ गई। आप को याद होगा कि पटना की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि अब इस लालटेन को पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय इलाके में जलाएंगे और बीजेपी की वजह से जो अंधियारा फैला है उसे दूर करेंगे। लेकिन करीब दो साल एक साथ रहने के बाद नीतीश ने आरजेडी को झटक दिया और दोनों की राह अलग हो गई। 

2019 के आम चुनाव को सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए अहम है। एक तरफ एनडीए गठबंधन 2004 से 2014 तक की तस्वीर को दोहराने की कोशिश में हैं तो विपक्ष को यकीन है कि सभी मोर्चों पर नाकाम एनडीए को लोग सत्ता से बाहर कर देंगे। इन सबके बीच एक बयान बहुत ही अहम है जो लालू प्रसाद यादव ने दिया है। लालू प्रसाद का दावा है कि नीतीश कुमार गठबंधन में दोबारा आना चाहते थे। लेकिन उनके इस कोशिश पर पानी फिर गया। लालू प्रसाद का कहना है कि उनके मन में नीतीश कुमार के लिए कड़वाहट नहीं है। लेकिन अब उन्हें नीतीश में भरोसा नहीं है। इस तरह की बातें उन्होंने अपनी आने वाली किताब में कही है।

लालू प्रसाद की किताब में इस बात का जिक्र है कि जेडीयू के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत किशोर को पांच अलग अलग मौकों पर नीतीश कुमार ने उनके पास भेजा था। प्रशांत किशोर की बातों से ऐसा लगा कि अगर वो लिखित में जेडीयू को समर्थन देने की बात करते हैं तो नीतीश कुमार बीजेपी से अलग हो जाएंगे। लालू प्रसाद कहते हैं कि वो इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं थे कि अगर वो जेडीयू को समर्थन देने की बात करते हैं या नीतीश कुमार के साथ दोबारा जाते हैं तो जनता उसे किस रूप में देखती। लालू ने अपने संघर्ष और राजनीतिक सफर को गोपालगंज टू रायसीना- माई पोलिटिकल जर्नी में इन बातों का जिक्र किया है।

ये बात अलग है कि लालू प्रसाद के इन दावों को जेडीयू के महासचिव के सी त्यागी ने सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि वो इस बात को दावे से कह सकते हैं कि नीतीश कुमार ने कभी भी महागठबंध में जाने के बारे में नहीं सोचा। इस सबंध में जेडीयी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लालू यादव से मुलाकात पर न तो हामी भरी और न तो इंकार किया। उन्होंने कहा कि जहां तक कुछ लिखने की बात है तो कुछ भी लिखा जा सकता है। 

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