International Women's Day 2023: कोमल है कमजोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है

महिला दिवस की शुरुआत साल 1908 में न्यूयॉर्क से हुई थी, उस समय वहाँ मौजूद महिलाओं ने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर अपनी नौकरी में समय को कम करने की मांग को लेकर एक मार्च निकाला था।

Update: 2023-03-08 15:45 GMT

जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं।("यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः")

प्राचीन काल से ही नारी को नारायणी  माना जाता रहा है। आज से लगभग 10 हजार वर्ष पूर्व वैदिक काल में जैसी स्थिति नारी की रही है, वैसी स्थिति मध्य काल में नहीं रही है।मध्य काल में पर्दाप्रथा, बाल विवाह, सती प्रथा जैसे कुप्रथाओं का जन्म हुआ। अफगानों ने बलपूर्वक नारियों के साथ विवाह रचाएं और उनका शारीरिक और मानसिक शोषण किया, उन्हें केवल उपभोग की वस्तु समझा।

यह वही समय था जब चित्तौड़ गढ़ की रानी पद्मावती ने अलाउद्दीन खिलजी से अपने सम्मान की रक्षा के लिए हजारों स्त्रियों के साथ अग्निकुंड में कूदकर जौहर कर लिया था।

वर्तमान युग में नारी की बेहतर स्थिति

वर्तमानयुग में नारी की स्थिति मध्यकाल जैसी नहीं है। स्त्रियां हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं, उन्हें हर क्षेत्र में पुरुषों के समान ही समानता का अधिकार मिला है।

आधुनिकयुग में महिलाएं राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, मंत्री जैसे सत्ता के शीर्ष पदों पर आसीन हुई हैं और अपनी योग्यता व कुशलता का लोहा मनवायीं हैं।तो वहीं सेना में,प्रशानिक अधिकारी, पायलट, डॉक्टर, इंजीनियर बनकर देश की सेवा की हैं। स्त्रियों के बारे में कहा जाता है कि यदि पुरुष शिक्षित होगा तो वह केवल अपने कुल को शिक्षित करेगा लेकिन यदि एक बेटी शिक्षित होगी तो वह दो कुलों को संवारेगी, शिक्षित करेगी।नारी की अच्छी स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब जहां नारियों को नौकरी में आरक्षण की व्यवस्था की गई है तो वहीं राजनीतिक दलों ने भी अपनी अपनी पार्टियों में नारियों को चुनाव लड़ने के लिए सीटों को आरक्षित कर दिया है।

निःसंदेह नारी की स्थिति पहले से बहुत ही बेहतर हुई है और समाज के निर्माण में उनकी सहभागिता देखने को मिल रही है।

जानिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है

महिला दिवस की शुरुआत साल 1908 में न्यूयॉर्क से हुई थी, उस समय वहाँ मौजूद महिलाओं ने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर अपनी नौकरी में समय को कम करने की मांग को लेकर एक मार्च निकाला था, इसी के साथ उन महिलाओं ने अपने वेतन बढ़ाने और वोट डालने के अधिकार की भी मांग की थी, इसके एक वर्ष पश्चात अमेरिका में इस दिन को राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया गया। फिर इसके बाद साल 1910 में क्लारा जेटकिन ने कामकाजी महिलाओं के एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का सुझाव दिया, इस सम्मेलन में 17 देशों के करीब 100 कामकाजी महिलाएं उपस्थित थी, इन सभी महिलाओं ने क्लेरा जेटकिन के सुझाव का समर्थन किया, इसके बाद साल 1911 में सर्वप्रथम 8 मार्च के दिन कई देशो में यह दिन एक साथ मनाया गया, इस तरह से प्रथम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत हुई थी।

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