जैसे ही उदितराज का कटा टिकिट बीजेपी दलित विरोधी हो गई क्यों?

Update: 2019-04-23 08:08 GMT

भारतीय जनता पार्टी ने पंजाब के मशहूर सिंगर हंसराज हंस को दिल्ली की नॉर्थ वेस्ट सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है. बीजेपी ने अब दिल्ली की सभी सातों सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं. पार्टी ने जहाँ पहले चार सीटों पर उम्मीदवार घोषित किये थे वहीँ देर रात दो सीटों पर और अभी एक सुरक्षित सीट पर भी उम्मीदवार घोषित कर दिया है. 


 दिल्ली की नॉर्थ वेस्ट सीट सुरक्षित अर्थात आरक्षित सीट है. इस सीट से अभी बीजेपी के सासंद दलित नेता उदित राज थे. पार्टी में उन्होंने अपनी पार्टी का 2014 में विलय भी कर दिया था और बीजेपी ने उन्हें दिल्ली की इस सीट से चुनाव लड़ाया जहाँ उन्होंने आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार राखी बिडलान को लगभग एक लाख से ज्यादा मतों से हराया. इसके बाद अब पार्टी ने उन्हें टिकिट नहीं दिया है चूँकि उदित राज ने दलितों के संघर्ष के लिए एक राजनैतिक संघठन खड़ा किया था जिसका विलय भी वो बीजेपी में कर चुकें है. 

उन्होंने कहा भी कि पार्टी क्यों नहीं टिकट दे रही. जबकि मैंने इतना अच्छा काम किया है. पार्टी क्या दलित विरोधी है? पूरे देश में मुझसे बड़ा दलित नेता कौन है. जितने इनके कैंडिडेट लड़ रहे हैं, उनके जितनी मेरे अकेले की ताकत है. फिर पार्टी मेरे साथ यह व्यवहार क्यों कर रही है. 

हालांकि उन्हें टिकिट कटने का अंदाज भी था लेकिन उन्होंने पार्टी के निर्णय से पहले ही अपने नाराजगी और धमकी की बात शुरू की थी. शायद अब बीजेपी पुरानी बीजेपी नहीं है जो पार्टी के विरुद्ध बात करने वलों को नजरअंदाज करें. अब उदित राज ने कहा है कि बीजेपी की असलियत कुछ और है जबकि दिखती कुछ और है. पार्टी अंदर से दलित विरोधी मानसिकता से लबरेज है. उहोने टिकिट कटते ही अपने नाम के आगे से चौकीदार शब्द भी हटा दिया है जबकि कहा है, मेरे टिकट का नाम में देरी होने पर पूरे देश में मेरे दलित समर्थकों में रोष है और जब मेरी बात पार्टी नहीं सुन रही तो आम दलित कैसे इंसाफ पायेगा. 


अब बीजेपी ने उनकी टिकिट काटकर पंजाबी गायक हंसराज हंस को देदी है. तो अब उदित राज बीजेपी को दलित विरोधी कहने से क्यों पीछे हटेंगे? कल तक जिस बीजेपी के सांसद होने का तमगा लटकाए घूम रहे उदितराज अब किस मुंह से बीजेपी को दलित विरोधी कहेंगे यह तो आने वाला समय बतायेगा. फिलाहल उदितराज की हालत खराब जरुर हो गई है. पार्टी के सर्वे में उनकी लगातार खिलाफत की वजह उनकी टिकिट कटने में अहम भूमिका निभा गई, दूसरी वजह अपने व्यवहार की भी रही है. अधिकारी होकर ईगो होना अलग बात है लेकिन नेता होकर ईगो होना गलत बात है. 

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