Reservation In Promotion: भीम आर्मी चंद्रशेखर की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ निकाला मार्च

उत्तराखंड सरकार से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है. जिसके बाद विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.

Update: 2020-02-16 10:54 GMT

नई दिल्ली. प्रोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भीम आर्मी के कई सदस्यों ने रविवार को विरोध मार्च निकाला. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सरकारी सेवाओं में प्रोन्नति में आरक्षण देने के लिए राज्य सरकारें बाध्य नहीं हैं. भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद भी प्रदर्शन मार्च में शामिल हुए, जो मंडी हाउस से शुरू हुआ. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे संसद तक मार्च करेंगे. भीम आर्मी के प्रवक्ता हरजीत सिंह भट्टी ने कहा, 'शीर्ष अदालत का फैसला पूरी तरह से संविधान के समानता के अधिकार के वादे के खिलाफ है.'

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आरक्षण से जुड़े एक मामले में कहा था कि नियुक्ति और पदोन्नति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है, आरक्षण व्यवस्था को बहाल करना राज्य सरकारों के क्षेत्राधिकार में है. इससे पहले कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि भाजपा की अगुवाई उत्तराखंड सरकार द्वारा अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को आरक्षण मुहैया किए बगैर राज्य की सार्वजनिक सेवाओं में पदों को भरने की 'गलती' को निष्प्रभावी करने के लिए कानून में बदलाव जरूरी है.

मायावती ने भी की थी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा जताते हुए खड़गे ने कहा था, 'न्यायालय ने कई टिप्पणियां की हैं, जैसे आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है, जबकि इसकी जरूरत नहीं थी.' वहीं बहुजन समाजपार्टी की मुखिया और पूर्व सीएम मायावती ने इस फैसले के लिये अदालत में केन्द्र सरकार के उपेक्षित रवैये को जिम्मेदार ठहराया.

उन्होंने रविवार को ट्वीट कर कहा, 'कांग्रेस के बाद अब भाजपा और इनकी केन्द्र सरकार के अनवरत उपेक्षित रवैये के कारण यहां सदियों से पिछड़े अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के शोषितों पीड़ितों को आरक्षण के माध्यम से देश की मुख्यधारा में लाने का सकारात्मक संवैधानिक प्रयास विफल हो रहा है. यह अति गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण है.' (एजेंसी इनपुट के साथ)

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