दिल्ली पुलिस ने फेक कॉल सेंटर के जरिये 250 से ज्यादा लोगों को ठगने वाले गिरोह का किया भंडाफोड़

Update: 2019-09-07 12:33 GMT

डिजिटल इंडिया के इस दौर में जहा हर आदमी घर बैठे ऑनलाइन हर काम करता है उसी डिजिटल इंडिया के इस दौर में कई ऐसे गैंग भी एक्टिव है जो मुनाफे का लालच दे कर लोगो की ज़िंदगी भर की मेहनत की कमाई पर हाथ साफ कर रहे हैं. रोहिणी जिला पुलिस ने एक ऐसे ही गिरोह के 12 लोगों को गिरफ्तार किया है जो फेक कॉल सेंटर की मदद से 250 लोगों के साथ ठगी को अंजाम दे चुके हैं.

दरअसल, दिल्ली पुलिस को पंजाब नेशनल बैंक के रिटायर्ड मैनेजर ने शिकायत दी थी कि इन्वेस्टमेंट प्लान और इन्श्योरेंस के फायदों का झांसा देकर उनके साथ 20 लाख रुपये की ठगी की गयी है. रिटायर्ड बैंक मैनेजर ने अपनी शिकायत में बताया की पॉलिसी इन्श्योरेंस रिन्यूअल कराने के नाम पर और फिर रिनुअल और मैच्यूरिटी के बाद दोगुना पैसा दिलाने के नाम पर यह ठगी की गयी है. 

दिल्ली पुलिस ने जब इस मामले की जांच शुरू की तो पता चला ये गिरोह सिर्फ दिल्ली से ही लोगों को कॉल करके नहीं ठग रहा है बल्कि इस गिरोह के कॉल सेंटर बार बार अपनी जगह बदलते रहते हैं. दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच उस बैंक एकाउंट से शुरू की जिस बैंक एकाउंट में रिटायर्ड बैंक मैनेजर ने पैसा डाला था. पकड़े गए लोगों में से कुछ लोगों को फ़ोन करके लुभावने वादे करते थे. वहीं 2 काल सेंटर के मालिक हैं और कुछ पहले इन्श्योरेंस कंपनी में काम कर चुके हैं और कुछ वो लोग हैं जिनकी मदद से बैंक एकाउंट खोले गए थे, जिसमें ये गिरोह पैसा जमा करवाता था. इन्श्योरेंस कंपनी में काम कर चुके लोग काल सेंटर के मालिक को जानकारी देते थे.

जिसके बाद ज्यादा मुनाफे का लालच देकर कॉल सेंटर से काल करने वाला शख्स पीड़ितों को बैंक एकाउंट में पैसा डालने को बोलता था और जैसे ही पैसा एकाउंट में आ जाता तभी जिसके नाम पर एकाउंट खोला गया है वो एटीएम या सेल्फ चेक की मदद से पैसा निकाला कर 20% खुद रखता था बाकी का 80% काल सेंटर के मालिक को दे देता था. किसी को शक न हो इसके लिए ये कभी दिल्ली से तो कभी नोएडा कभी गुरुग्राम में काल सेंटर को चलाया करते थे. इसी तरह से इस गिरोह ने देश के अलग अलग राज्यो में रह रहे करीब 250 लोगो को अपनी ठगी का शिकार बनाया, बहराल पुलिस ने अभी तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है. वहीं अभी भी एक दर्जन से ज्यादा लोग इस मामले में फ़रार है जिनकी तलाश की जा रही है. पुलिस अब ये पता लगाने में जुटी है कि इस गिरोह के सदस्यों को सिम कार्ड कौन मुहैया कराता था, जिससे ये अपने टारगेट को फोन करते थे. 

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