कुमार विश्वास ने पूछा "लोग ख़रीदने के बहाने इतने सिंघाड़े खा जाते हैं,नुक़सान कौन भरता है अम्मा?

Update: 2019-11-18 03:29 GMT

आजकल आप सडक और बाजार में फुटपाथ के किनारे जमीन पर सिंघाड़े लगाये बैठी बूढी माँ जैसे कई लोग सिंघाड़े , मूंगफली बेचकर जीवन यापन करते है. जब इनके ग्राहक इनके पास आते है तो चाहे सिंघाड़ा हो मूंगफली सबसे पहले हाथ में आता है और तोड़कर खाना शुरू कर देते है. उसके बाद उसका भाव पूंछते है और फिर भी मन नहीं करता ही तो नहीं खरीदते है. 

इस तरह जब कुमार विश्वास कहीं जा रहे थे तो सडक किनारे एक बुजुर्ग महिला सिंघाड़े बेच रही थी. कुमार ने गाडी रुकवाई और अम्मा के पास जाकर बैठ गये और सिंघाड़े खरीदने लगे लेकिन हाथ तो हाथ होता है उसका काम था सिंघाड़े को तोड़कर खाना और हाथ ने अपना काम शुरु कर दिया था. तब कुमार विश्वास ने बूढी माँ से ये ये सवाल किया. 

कुमार विश्वास ने कहा कि सिंघाडे बेच रही अम्मा को प्रति किलो 2-4 रुपए बचते हैं ! मैंने पूछा "लोग ख़रीदने के बहाने इतने सिंघाड़े खा जाते हैं,नुक़सान कौन भरता है अम्मा?" बोलीं "बालकों के खाने-चखने से तो आमद बढ़ती है बेटा, कमी-बेसी भगवान के करने से होवै है !"अम्मा कम में संतुष्ट हैं.कारपोरेट नहीं हैं ना..

बता दें कि आप भी सडक किनारे खड़े इन रेहड़ी पटरी पर बैठे बुजुर्ग महिला और पुरुषों से सामान जरुर खरीदें. क्योंकि समान तो आपको लेना ही तो क्यों न इनके जीवन यापन की व्यवस्था में  शामिल होकर एक पुन्य का काम करें. 

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