राहुल गाँधी आपने कांग्रेस को बरबाद करने की और मोदी को पीएम बनाने की कसम खा ली है!

वाजिब वजहों से ही। यह भरोसा जरूर रहा है कि भ्रष्टाचार के बावजूद कांग्रेसी देश तोड़ने वाली नफरत की राजनीति नहीं करेंगे। भाजपा और कांग्रेस में यही अंतर है।

Update: 2020-02-07 07:30 GMT

वीरेंद्र सिंह सेंगर 

राहुल गांधी ने एक बार फिर काग्रेंसियों सहित तमाम उन लोगों को निराश किया है,जो साहेब की सरकार के दौर में बड़े खतरों की आहट महसूस कर रहे हैं। कोई समझदार शख्स नहीं चाहेगा कि खतरे के गड्ढे का विकल्प खतरे की खांई बने? क्योंकि सब को पता है कि भरोसेमंद राजनीतिक विकल्प हो तो इस सरकार की शैली ने खुद गाजे बाजे के साथ अपनी विदाई के इंतजाम कर लिए हैं!राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष के पास कांग्रेस ही है। यह पार्टी लंबे समय से नेतृत्व संकट मे ं फंसी है।

सोनिया गांधी अंतरिम तौर पर कामकाज चला रही हैं। वे गंभीर रूप से बीमार हैं। ले देकर निगाह राहुल पर ही टिकती है। अब उनकी बहन प्रियंका भी मदद करने आ गयी हैं। लोग उन्हें राहुल के मुकाबले ज्यादा समझदार समझ रहे हैं। लेकिन वे भाई की रखवाली करना ज्यादा महत्वपूर्ण समझ रही हैं। कहती हैं ,उनके नेता राहुल भाई हैं।यानी उन्होंने अपनी लक्ष्मण रेखा बता दी है।जबकि राहुल पर पार्टी के अंदर ही भरोसा नहीं है।वे रह रहकर यह भरोसा चकनाचूर करते आए हैं।

कल एक बार फिर उन्होंने दिखा दिया कि भले लोकतंत्र रक्षा का अभिनय करें,वे फ्लाफ राजनीतिक एक्टर हैं।नेता तो बने ही नहीं हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री के लिए जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया, वह निंदनीय है। इस बात का कोई मतलब नहीं है कि प्रधानमंत्री विपक्ष के लिए घटिया शब्दों का इस्तेमाल धडल्ले से करते हैं । राहुल जी !एक मूर्खता का जवाब,प्रति मूर्खता से स्वीकार नहीं हो सकता । आप कब समझेंगे? आप की राजनीति शुरू से देखता आ रहा हूं। कभी भी मुझे आपके अंदर नेतृत्व वाली आग दिखी भी नहीं।

एक दो मौकों पर पत्रकारीय मुलाकात के दौर में यह अहसास और गहराया ही। हम जानते हैं कि काग्रेंस एक झटके मे ं परिवारवारी परंपरा नहीं तोड़ सकती। वर्ना वो टुकड़ों मे ं बंट जाएगी। इसी लिए आप जैसे नाकाबिलों को ढोना उसकी मजबूरी है। लंबे समय तक सत्ता मे ं रहे हैं। काफी काम हुए। कुछ अच्छे,कुछ बहुत अच्छे तो कुछ बहुत बुरे भी!करेप्शन बढ़ा। जाने अनजाने घोटाले भी हुए। जनता ने इसकी सजा भी दी।

मेरे जैसे प्रगतिशील सोच वाले तमाम किसी पार्टी के सोच से नहीं जुड़े। क्रांग्रेस की लानत मनानत करने मे ं पीछे नहीं रहे। वाजिब वजहों से ही। यह भरोसा जरूर रहा है कि भ्रष्टाचार के बावजूद कांग्रेसी देश तोड़ने वाली नफरत की राजनीति नहीं करेंगे। भाजपा और कांग्रेस में यही अंतर है। लेकिन लोकतत्रं को सुरक्षित देखने की तमन्ना रखने वालों की मजबूरी राहुल जैसों को ढोना भी नहीं हो सकती? असभ्य तौर तरीकों से न आप पार्टी का भला कर पाएंगे न देश का!याद रखिए!कभी कभी जनता शून्य से विकल्प ढूंढ लेती है। किसी अंहकार में न रहिए। पी एम के लिये गलत भाषा पर आप देश से माफी तो मांगेगे नहीं। क्योंकि अपनी गलती की माफी मांगने वाले, बहुत बड़े होते हैं। आप तो शायद इतने बड़े भी नहीं हुए हैं?

Tags:    

Similar News