BJP सांसदों से बोले संजय राउत, जिस स्कूल में पढ़ते हो, वहां के हम हेडमास्टर

Update: 2019-12-11 10:15 GMT

राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर चर्चा करते हुए शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि आज देश के कई हिस्से में बिल का विरोध हो रहा है. वह भी देश के नागरिक हैं. हमें किसी से देशभक्ति का प्रमाणपत्र लेने की जरूरत नहीं है, हम कितने कठोर हिंदू हैं, उसका प्रमाण पत्र भी हमें नहीं चाहिए. क्योंकि जिस स्कूल में आप (बीजेपी) पढ़ते हैं, वहां के हम हेडमास्टर हैं. बाला साहेब हमारे हेडमास्टर थे. अटल जी भी थे. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी थे.

शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि लोकतंत्र में अलग आवाजें होती हैं. ये कहा जा रहा है कि जो इस बिल के साथ नहीं है वो देशद्रोही है, जो साथ है वही देशभक्त है. ये पाकिस्तान की असेंबली नहीं है, अगर पाकिस्तान की भाषा पसंद नहीं है तो पाकिस्तान को खत्म कर दो, हम आपके साथ हैं.

संजय राउत ने कहा कि अगर वहां हमारे भाइयों पर जुल्म हो रहा है, तो आप मजबूत हैं उनका साथ दीजिए. हमें किसी से देशभक्ति का प्रमाणपत्र लेने की जरूरत नहीं है, हम कितने कठोर हिंदू हैं जिस स्कूल में आप पढ़ते हो वहां हम पर हेडमास्टर हैं.

शिवसेना सांसद ने कहा कि इस देश से घुसपैठियों को बाहर निकलाना चाहिए, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का हनन हुआ है. जिन लाखों-करोड़ों को यहां पर ला रहे हैं, तो क्या उन्हें वोटिंग का हक मिलेगा. अगर इन्हें 20-25 साल वोटिंग का हक नहीं मिलता है तो बैलेंस रहेगा.

ये बिल अदालत में नहीं टिकेगा

संजय राउत से पहले नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि सरकार जो बिल ला रही है, ये पूरी तरह से गैर-संवैधानिक है. हमारी जिम्मेदारी बनती है कि वही पास करें जो सही हो, अगर गैर-संवैधानिक बिल को हम पास करते हैं तो बाद में सुप्रीम कोर्ट इस बिल का भविष्य तय करेगी.

पी. चिदंबरम बोले कि मुझे पूरा विश्वास है कि ये बिल अदालत में नहीं टिकेगा. उन्होंने कहा कि ये बिल आर्टिकल 14 की बातों का उल्लंघन करता है, जिसमें समानता का अधिकार शामिल है. इसमें जो कानूनी कमियां हैं, उसका जवाब कौन देगा और जिम्मेदारी कौन लेगा. अगर कानून मंत्रालय ने इस बिल की सलाह दी है तो गृह मंत्री को कागज रखने चाहिए, जिसने भी इस बिल की सलाह दी है उसे संसद में लाना चाहिए. 1. आपने तीन देशों को ही क्यों चुना, बाकी को क्यों छोड़ा? 2. आपने 6 धर्मों को ही क्यों चुना? 3. सिर्फ ईसाई को क्यों शामिल किया. 4. भूटान के ईसाई, श्रीलंका के हिंदुओं को क्यों बाहर रखा.

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