जीत वामदलों की लेकिन 'कालीदासों' की संख्या में बढ़ोतरी

Update: 2018-09-16 10:49 GMT

जितेंद्र कुमार 

अध्यक्ष पद पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) के ललित पांडे को 972 वोट मिला जबकि वाममोर्चा के विजयी उम्मीदवार एन साई बाबा को 2151 वोट मिला। इस तरह दोनों के बीच वोटों का अंतर 1179 का था। उपाध्यक्ष पद पर एबीवीपी की गीता श्री को 1013 वोट मिले जबकि वामपंथी मोर्चा की सारिका को 2592 वोट मिले। कुल मिलाकर सारिका 1579 वोटों से चुनाव जीती। महासचिव पद पर एबीवीपी के गणेश को 1235 वोट मिले जबकि वाममोर्चा के एजाज 2426 वोट पाकर विजयी घोषित हुए। उस पद पर जीत का अंतर 1193 वोटों का था। जबकि संयुक्त सचिव के पद पर वेंकट चौबे को 1290 वोट मिले और वाममोर्चा की विजयी उम्मीदवार अमुता ने 2047 वोट पाकर 757 मतों से यह पद जीता।


सामान्य तौर पर इसे यह वाममोर्चा की बड़ी जीत कही जा सकती है। लेकिन अगर दूसरे नजरिए से देखा जाय तो क्या हम यह कह सकते हैं कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय केंपस में न्युनतम 972 और अधिकतम 1290 'कालीदास' घूम रहे हैं। अगर विद्यार्थी परिषद् वाले बहुत बुरा न मानें तो क्या हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि जिन किसी ने विद्यार्थी परिषद को वोट दिया है उनका बहुत ही साफ एजेंडा जेएनयू को बर्बाद करने का है। आखिर कालिदास के अलावा कौन मूर्ख था जो अपनी बैठी टहनी को ही काट रहा था। और आज के दिन आर एस एस से लेकर बीजेपी और ए बी वी पी तक इस विश्वविद्यालय को किसी भी परिस्थिति में बंद करना और करवाना चाहते हैं।


इसलिए इतनी बड़ी संख्या में मौजूद 'कालीदासों' को हल्के में मत लीजिए। वे सब बार-बार विश्वविद्यालय को नष्ट करने की कोशिश करेगें लेकिन इतना बड़ी विजय मिले वामपंथी दलों को भी सोचना होगा कि वे इन कालीदासों से कैसे निपटें!

वैसे जो भी हो, वामपंथी गठबंधन बधाई के हकदार हैं हीं।

" पढ़ो लड़ाई लड़ने को, पढ़ो समाज बदलने को।"

इस जीत पर तमाम साथियों को क्रांतिकारी अभिनन्दन..!

लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार है 

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