महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन हुआ बेकाबू, प्रकाश सोलंके के घर पर लगाईं गई आग

मराठा आरक्षण आंदोलन के कुछ प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया है कि प्रकाश सोलंके ने मराठा आरक्षण पर अपना रुख स्पष्ट करने की मांग करते हुए पथराव किया और व‍िधायक के घर आग लगा दी।

Update: 2023-10-30 11:55 GMT

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन का मुद्दा अब काफी गरमा गया है। बीड जिले में उपमुख्यमंत्री अजित पवार गुट के मौजूदा एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके के घर पर आंदोलनकार‍ियों ने पथराव किया। इसके अलावा सोलंके के घर के बाहर खड़ी कार में भी आग लगा दी गई। हालांक‍ि विधायक सोलंकी और उनके परिवार के सदस्य सुरक्षित बताए जा रहे हैं। दरअसल विधायक का एक ऑडियो क्लिप वायरल होने के बाद भीड़ ने माजलगांव स्थित सोलंके के आवास पर खड़ी एक कार को भी आग लगा दी। इस ऑडियो क्लिप में उन्होंने कथित तौर पर मराठा आरक्षण आंदोलन के बारे में टिप्पणी की थी और भूख हड़ताल कर रहे आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पर सीधे तौर पर न‍िशाना साधा था।

​क्‍यों हुआ व‍िधायक के घर हमला?

प्रकाश सोलंके उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट से हैं। यह साफ नहीं है कि सुबह करीब 11 बजे हुई घटना के समय विधायक आवास में मौजूद थे या नहीं। एक अधिकारी ने बताया क‍ि मराठा आरक्षण मुद्दे के बारे में विधायक सोलंके की एक ऑडियो क्लिप वायरल होने के बाद यह घटना हुई। स्थानीय स्तर पर बंद का आह्वान किया गया था। विधायक के घर और एक कार को कुछ लोगों ने आग लगा दी और पथराव भी किया गया।

व‍िधायक प्रकाश सोलंके ने क्‍या कहा था?

ऑडियो क्लिप में सोलंके को कथित तौर पर कहते हुए सुना जा सकता है कि यह मुद्दा (मराठा आरक्षण की मांग और सरकार को इसके लिए 24 अक्टूबर तक 40 दिनों का अल्टीमेटम) बच्चों का खेल बन गया है। उन्होंने जरांगे पर सीधे तौर पर कटाक्ष करते हुए कहा क‍ि वह व्यक्ति, जिसने ग्राम पंचायत तक का चुनाव नहीं लड़ा है, आज एक चतुर व्यक्ति बन गया है। वहीं, सोलंके ने एक समाचार चैनल से कहा कि घटना के समय वह माजलगांव में थे।

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​​क्यों हो रहा आंदोलन

मराठा समुदाय के सदस्य अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन ने तब जोर पकड़ लिया, जब सामाजिक कार्यकर्ता जरांगे प्रदर्शन के दूसरे चरण के तहत जालना में अंतरवाली सराटी गांव में 25 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए। उनकी अपील पर कई ग्रामीणों ने गांव में राजनीतिक दलों के नेताओं का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है।

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