महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संकट के बाद अब सभी नजरें राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी पर टिकी

Update: 2019-11-07 13:57 GMT


मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को खत्म होने जा रहा है और राज्य में अभी तक सियासी संकट का समाधान नहीं निकल पाया है. एक तरफ बीजेपी और शिवसेना के बीच सीएम पद को लेकर चली आ रही लड़ाई खत्म होने का नाम नहीं ले रही है.

वहीं दूसरी तरफ एनसीपी और कांग्रेस में शिवसेना को समर्थन देने को लेकर अलग अलग राय है. ऐसे में अब सभी नजरें राजभवन की तरफ हैं.महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने कानून के जानकारों की राय लेना शुरू कर दिया है.

राजभवन के सूत्रों के हवाले से खबर है कि 9 नवंबर को विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने पर प्रदेश में फौरन राष्ट्रपति शासन लागू नहीं होगा. ऐसा बताया जा रहा है कि मौजूदा सरकार का कार्यकाल हफ्ते भर या उससे ज्यादा रह सकता है. कहा जा रहा है कि राज्य सरकार का कार्यकाल बढ़ाने की जरूरत नहीं है लेकिन मौजूदा फडणवीस सरकार अपने कामकाज और सरकार बनाने की प्रक्रिया जारी रख सकती है.

खबर है कि गुरुवार को राज्यपाल ने एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोणी से राज्य में उपजे संवैधानिक संकट पर कानूनी सलाह ली है. बैठक में देरी से सरकार गठन पर राज्य में बनती स्थिति पर कानूनी चर्चा हुई. राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को सरकार बनाने के लिए भी कह सकते हैं और बहुमत परीक्षण का समय निर्धारित कर सकते हैं. कोई पार्टी बहुमत साबित नहीं कर पाई तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगना तय है.

उधर शिवसेना नेता संजय राउत ने आज एक बार फिर दोहराया कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा. शिवसेना का अगला क़दम क्या होगा, राउत ने यह भी कहा कि बीजेपी बहुमत सिद्ध कर पाए तो सिद्ध करे, हमारी शुभकामनाएं हैं.

राउत ने कहा, "बीजेपी -शिवसेना गठबंधन के बीच जो बात तैय हुई थी उसमें जनादेश मिला है. अगर बीजेपी कहती है कि जनादेश मिला है तो सरकार क्यों नहीं बनाती. साम, दाम, दंड, भेद की नीति सत्ता में रहते होती है." 

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