पीएमसी घोटाला: बैंक में जमा थे 90 लाख, दिल का दौरा पड़ने से खाताधारक की मौत

स्थानीय लोगों का कहना है कि हार्ट अटैक की वजह से संजय की मौत हुई। सं

Update: 2019-10-15 09:33 GMT

मुंबई के रहने वाले संजय गुलाटी (51) को एक के बाद एक कई झटके मिले, जिसके बाद उनकी मौत हो गई। संजय की पहले जेट एयरवेज से नौकरी चली गई, फिर बचत से वह किसी तरह अपने परिवार के साथ गुजारा कर रहे थे। इसी बीच पंजाब ऐंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) में बड़े घोटाले का मामला सामने आ गया। संजय ने भी पीएमसी में 90 लाख रुपये जमा कर रखे थे, घोटाले की ख़बर सुनते ही उनके होश फाख्ता हो गए। संजय की जमा पूंजी यानी 90 लाख रुपये भी फंस गए।

संजय निवेशकों के साथ सोमवार को एक रैली में शामिल हुए थे। उन्होंने वहां निवेशकों को रोते हुए, पैसे लौटाने के लिए गिड़गिड़ाते हुए देखा। लोगों के दिल में भरी टीस देखने के बाद जब वह घर लौटे तो कुछ देर बाद उनकी मौत हो गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि हार्ट अटैक की वजह से संजय की मौत हुई। संजय ओशिवारा के तारापुर गार्डन के रहने वाले थे। बता दें कि पीएमसी बैंक में वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आने के बाद केंद्रीय बैंक ने इस बैंक के ग्राहकों के लिए नकदी निकासी की सीमा तय करने के साथ ही बैंक पर कई तरह के अन्य प्रतिबंध लगा दिए हैं।

ओशिवारा ब्रांच में फंसी है जमा पूंजी

संजय गुलाटी के परिवार के 90 लाख रुपये ओशिवारा ब्रांच में फंसे हुए हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। सोसायटी के सेक्रटरी यतींद्र पाल कहते हैं, 'संजय और उनके पिता सीएल गुलाटी जेट एयरवेज में काम करते थे। पहले संजय की नौकरी गई, फिर उनकी बचत भी खत्म होती गई। उन्हें किसी भी प्रकार की कोई गंभीर बीमारी तो नहीं थी। उन्हें सिर्फ थाइरॉयड संबंधी समस्या थी। सोमवार को उन्होंने निवेशकों द्वारा आयोजित एक रैली में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने कई लोगों को रोते हुए, परेशान होते हुए देखा।' 

'खाना खाते वक्त हुई मौत'

यतींद्र ने कहा, 'संजय शाम को तकरीबन 3 बजकर 30 मिनट पर वापस लौटे और सो गए। 4 बजकर 45 मिनट पर उन्होंने पत्नी से खाना देने को कहा। जैसे ही वह खाना खा रहे थे, तभी वह बेहोश हुए और उनकी मौत हो गई। यह सब देखकर हम लोगों के होश उड़ गए।' 

क्या है पीएमसी बैंक घोटाला?

पंजाब ऐंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (PMC) बैंक में फाइनैंशल फ्रॉड लगभग एक दशक से चल रहा था। जांच कर रहे अधिकारियों का कहना है कि जॉय थॉमस की अगुवाई में बैंक मैनेजमेंट ने कंस्ट्रक्शन कंपनी HDIL को फंड दिलाने के लिए हजारों डमी अकाउंट खोले हुए थे। यह खेल करीब 10 साल से चल रहा था। रेगुलेटर को पता चला है कि थॉमस और मैनेजमेंट के कुछ लोगों ने मिलकर 4,226 करोड़ रुपये (बैंक के टोटल लोन का 73% हिस्सा) सिर्फ एक ही कंपनी HDIL को दिए थे, जो अब दिवालिया हो गई है। बैंक की तरफ से बांटे गए कुल लोन का दो तिहाई हिस्सा सिर्फ एक कस्टमर को दिया गया था। ऐसे में इस बैंक का दिवाला पिट गया और आरबीआई ने इसके कामकाज पर रोक लगा दी। उसने डिपॉजिटरों के पैसे निकालने की लिमिट तय कर दी। पहले आरबीआई ने बैंक के हर खाते से निकासी की ऊपरी सीमा 1,000 रुपये तय की थी जिसे बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया गया। इसके बाद यह सीमा 25 हजार कर दी गई और अब यह लिमिट 40 हजार रुपये हो गई है।

4,355.43 करोड़ का घपला

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने राकेश वाधवान और उनके बेटे सारंग गिरफ्तार करने के बाद एक स्थानीय अदालत के समक्ष पेश किया था। बैंक को 4,355.43 करोड़ रुपये का चूना लगाने के आरोप में ईओडब्ल्यू ने एचडीआईएल तथा पीएमसी बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। 

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